नई दिल्ली: केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सरहदों पर लगातार आंदोलन कर रहे कथित किसानों की पोल खुलने लगी है। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के पीछे चल रही साजिश का पर्दाफाश करने के लिए दो किसान नेता आगे आए हैं। अखिल भारतीय स्वामीनाथन संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष विकाल पचर ने 40 किसान संघों की अंब्रेला संस्था संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) को 4 लोगों की प्राइवेट कंपनी बताते हुए आरोप लगाया है कि इसे सियासी दलों द्वारा फंडिंग की जा रही है।
पचर ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि, 'SKM आज राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल, बलबीर राजेवाल की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गई है।' पचर ने आगे कहा कि उनका विरोध तीन कृषि कानूनों के खिलाफ था, मगर इन लोगों का ध्यान उत्तर प्रदेश और पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनावों पर है। राष्ट्रीय किसान मोर्चा के वीएम सिंह ने दावा करते हुए कहा कि कुछ लोग मामले को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार से बातचीत करने की जगह आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने खुलासा किया कि योगेंद्र यादव किसानों के विरोध प्रदर्शनों का उपयोग अपनी सियासी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कर रहे हैं।
वीएम सिंह ने राकेश टिकैत की पोल खोलते हुए कहा कि, 'राकेश टिकैत वही शख्स हैं, जो कानून आने से पहले ही कृषि कानूनों को लेकर प्रसन्न थे।' पचर ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा सियासी महत्वाकांक्षाओं के चलते 2024 तक विरोध करना चाहता है। सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा केंद्र सरकार से तब तक वार्ता नहीं करेगा, जब तक कि वे विपक्षी दलों को चुनाव में जीत नहीं दिला देते हैं।
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