सीहोर। मध्यप्रदेश के सीहोर में किसानों ने फसल खराब हो जाने के बाद प्रदर्शन किया। इस दौरान किसानों ने कहा कि, वे आत्महत्या जैसे कड़े कदम उठाने पर मजबूर हैं क्योंकि, उन्हें फसल बीमा से जुड़ी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसे में किसान आर्थिक संकट में है। किसान प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी आपबीती सुनाने के लिए कलेक्ट्रेट पहुॅंचे।
हालात ये हैं कि किसी किसान को 10 रूपए तो किसी को 100 रूपए मिले हैं. एक किसान का 126.44 रूपए प्रीमियम कटने के बाद भी उसे 4.70 रूपए ही बीमा राशि के तौर पर मिलने की बात सामने आई है। किसान इन बातों से आक्रोशित हैं। किसानों का कहना है कि, यह तो उनके लिए नुकसान साबित हो रहा है।
उनका कहना है कि, फसल बीमा योजना में कहा गया था कि, किसानों की फसल खराब हो जाएगी तो फिर उन्हें बीमा राशि का लाभ मिलेगा, मगर अब कागजी नियम बताकर उन्हें लाभ से वंचित किया जा रहा है। बताया गया है कि, करीब 1 माह पूर्व जिले के किसानों हेतु 54 करोड़ 83 लाख रूपए स्वीकृत किए गए थे, मगर विभाग ने उक्त राशि को किसानों के अकाउंट में जमा नहीं करवाया।
बीमा दिए जाने को लेकर जानकारी सामने आई है कि, जिले भर में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित की 19 शाखाओं की 99 समितियों में से 12 शाखाओं की 45 समितियों के 16 हजार 147 सदस्यों को 19 करोड़ 14 लाख 70 हजार 970 रुपए स्वीकृत हुए हैं। इसमें रेहटी क्षेत्र के सैकड़ों किसानों को हजारों रुपए प्रीमियम जमा करने के बाद अधिकतर किसानों को 4 से लेकर 50 रुपए तक बीमा क्लेम स्वीकृत हुआ है। किसानों का कहना है कि जो भाजपा खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात कर रही थी उसके कार्यकाल में न तो मुआवजा मिल रहा है और न ही फसल बीमा का लाभ मिल पाया है।