नई दिल्ली: केंद्र सरकार की तरफ से लागू किए गए तीनों कृषि कानूनों के विरुद्ध भारतभर में विरोध प्रदर्शन जारी है। कृषि कानूनों को दोबारा लेने की मांग को लेकर नवंबर 2020 से किसान आंदोलन चल रहा है। केंद्र सरकार ने जिन 3 कृषि कानूनों को पास किया, उसका काफी समय से विरोध हो रहा है। दिल्ली की बॉर्डर पर हजारों के आंकड़े में किसान आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के अमल पर सर्वोच्च न्यायालय ने पाबंदी लगा रखी है।
वहीं शिरोमणि अकाली दल 3 कृषि कानूनों के अधिनियमन के एक साल पूर्ण होने पर आज मतलब 17 सितंबर को काला दिवस के तौर पर मना रहा है। दिल्ली में पार्टी कार्यकर्ता अन्नदाताओं के साथ तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर संसद तक विरोध मार्च निकाल रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को शिरोमणी अकाली दल के नेता तथा कार्यकर्ता अन्नदाताओं के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल ने ब्लैक फ्राइडे नाम दिया है।
हालांकि, अन्नदाताओं के प्रदर्शन को देखते हुए बड़े आंकड़े में पुलिस बल तैनात किए गए हैं। दिल्ली में कई स्थानों पर पुलिस अन्नदाताओं को रोकने का प्रयास कर रहे हैं, मगर किसान आगे बढ़ते जा रहे हैं। आइए आपको बताते हैं किसान आंदोलन में अब तक क्या-क्या हुआ तथा कब-कब सरकार तथा अन्नदाताओं के बीच चर्चा हुई। किसान आंदोलन का प्रथम कानून, कृषक उपज व्यापार तथा वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक, 2020 है। इसमें सरकार बोल रही कि वह अन्नदाताओं की उपज को बेचने के लिए विकल्प को बढ़ाना चाहती है।
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