खजुराहो: मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की किल्लत और सिंचाई संकट से जूझ रहे किसानों के लिए राहत भरी खबर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर, 2024 को खजुराहो से केन-बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास करने आ रहे हैं। यह परियोजना बुंदेलखंड के लाखों किसानों की उम्मीदों को नई दिशा देगी और क्षेत्र की दशकों पुरानी जल समस्या का स्थायी समाधान करेगी।
बुंदेलखंड क्षेत्र लंबे समय से सूखा, पीने के पानी की कमी और सिंचाई के अभाव जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है। केन-बेतवा लिंक परियोजना इस संकट को हल करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित होगी। इस योजना के तहत केन नदी से बेतवा नदी को जोड़ने के लिए एक लिंक नहर बनाई जाएगी, जिससे जल संसाधनों का समान वितरण संभव हो सकेगा। परियोजना का सबसे बड़ा लाभ बुंदेलखंड के किसानों को मिलेगा। सिंचाई की बेहतर सुविधा मिलने से कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी। किसानों को फसलों के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा, जिससे उनकी पैदावार बढ़ेगी और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इस परियोजना से 10.62 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई संभव होगी।
इसके अलावा, यह योजना पीने के पानी की आपूर्ति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित होने से स्वास्थ्य समस्याओं में कमी आएगी। केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए कुल 44,608 करोड़ रुपये की लागत स्वीकृत की गई है। इसमें केंद्र सरकार 90 प्रतिशत यानी करीब 40,147 करोड़ रुपये का खर्च उठाएगी, जबकि राज्य सरकारें 10 प्रतिशत यानी 4,461 करोड़ रुपये का योगदान देंगी।
परियोजना के निर्माण से न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। निर्माण कार्यों में श्रमिकों की जरूरत होगी, जिससे क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। प्रोजेक्ट को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण को अगले चार वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि दूसरा चरण उसके बाद चार वर्षों में पूरा होगा। कुल मिलाकर, परियोजना के आठ वर्षों में पूरा होने की उम्मीद है। परियोजना का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में मदद करेगी। जल संसाधनों के प्रबंधन में सुधार के चलते सूखे की स्थिति से निपटना आसान होगा। साथ ही, भूजल स्तर में वृद्धि होने से क्षेत्र की हरियाली में भी इजाफा होगा।
केन-बेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखंड के किसानों के लिए एक नया अध्याय लिखने जा रही है। पानी की उपलब्धता बढ़ने से खेती-किसानी को मजबूती मिलेगी और पलायन की समस्या भी कम होगी। यह परियोजना न केवल बुंदेलखंड के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन सकती है कि किस तरह जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन से विकास और खुशहाली लाई जा सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस परियोजना का शिलान्यास करना इस बात का संकेत है कि सरकार किसानों और ग्रामीण भारत के विकास के लिए गंभीर है। अब देखना यह होगा कि यह महत्वाकांक्षी परियोजना कितनी तेजी से धरातल पर उतरती है और किसानों के जीवन में बदलाव लाती है।