चंडीगढ़: देश के कई प्रदेशों में भूजल अपने सबसे निचले स्तर पर है। हरियाणा भी उन्हीं प्रदेशों में सम्मिलित है। प्रदेश सरकार पानी की बचत को लेकर सख्त होती जा रही है। प्रदेश में पानी बचाने के लिए प्रदेश सरकार कई प्रकार के विकल्पों को अपना रही है। धान की जगह अन्य फसलों की बुवाई पर 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्राप्त हो रहे हैं। वहीं सीधी बुवाई पर भी किसानों को प्रति एकड़ 4 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। इसके अतिरिक्त प्रदेश में वक़्त से पहले धान की रोपाई करने वाले किसानों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जा रहा है।
वही यदि चेतावनी के पश्चात् भी किसान इसका उल्लंघन करते हैं तथा 15 जून से पहले धान की रोपाई करते हैं ग्राम सचिव, पटवारी एवं कृषि विभाग की संयुक्त टीम खेत में जाएगी तथा खेत में लगी धान की फसल को नष्ट कर देगी। इतना ही नहीं किसानों पर वक़्त से पहले धान की रोपाई करने के लिए प्रति एकड़ 10 हजार रुपये भी वसूले जाएंगे। प्रदेश में 15 जून से पहले धान की रोपाई करना प्रिजर्वेशन ऑफ सॉयल वाटर एक्ट 2009 का उल्लंघन माना जाएगा। इस एक्ट का उल्लंघन करने पर सजा एवं जुर्माना दोनों का प्रावधान है। यदि किसान को सजा एवं जुर्माने से बचना है तो 15 जुलाई से पहले धान की रोपाई करने से बचें।
वही राज्य में गिरते भूजल स्तर को सुधारने के लिए सरकार धान का रकबा घटाने के लिए सरकार प्रयासरत है, इसके लिए अन्य फसलो की खेती करने पर किसानों को प्रोत्साहन रकम भी दी जा रही है। इसके अतिरिक्त किसानों को सिंचाई के लिए ड्रिप विधि अपनाने की सलाह दी जा रही है।
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