अमृतसर: गणतंत्र दिवस के मौके पर पंजाब में किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किए और ट्रैक्टर मार्च निकाले। उनका कहना है कि केंद्र सरकार ने जिन वादों को किसानों से किया था, उन्हें पूरा नहीं किया गया है। किसानों का आरोप है कि उनकी लंबित मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिसके चलते वे अपनी आवाज उठाने के लिए एक बार फिर सड़क पर उतरे हैं। पंजाब के जालंधर के भोगपुर में किसान संगठनों ने एक बड़ा ट्रैक्टर मार्च आयोजित किया, जिसमें बड़ी संख्या में किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ इकट्ठा हुए और पठानकोट-जालंधर हाईवे पर विरोध मार्च निकाला। किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 जनवरी को यह विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया था, जिसे किसानों ने व्यापक समर्थन दिया।
इस बीच, खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन लगातार 62 दिन से जारी है। उन्होंने स्वास्थ्य में सुधार के लिए ग्लूकोज चढ़वाया और मेडिकल उपचार लिया, बावजूद इसके उनका संघर्ष जारी है। किसान संगठन, जिनमें एसकेएम शामिल है, ने अपनी बैठक में संघर्ष को और तेज करने का निर्णय लिया है। उनका मुख्य ध्यान केंद्र सरकार से कुछ प्रमुख मांगों को लेकर है, जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार फसलों की उचित कीमतें, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की पुन: स्थापना, और किसानों के खिलाफ दायर सभी मुकदमे वापस लिए जाएं। इसके अलावा, किसानों का कर्ज माफ करने, पेंशन देने और फसल बीमा योजना का प्रीमियम सरकार द्वारा वहन किए जाने जैसी भी मांगें हैं।
किसान संगठन यह भी चाहते हैं कि जिन किसानों की आंदोलन के दौरान मौत हुई है, उनके परिवारों को सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए, और लखीमपुर कांड के दोषियों को सजा दी जाए। वे मनरेगा के तहत 200 दिन काम और 700 रुपये मजदूरी की मांग भी कर रहे हैं। किसानों का यह भी कहना है कि नकली बीज और खाद के खिलाफ सख्त कानून बनाना चाहिए और मसालों की खरीद के लिए एक आयोग का गठन किया जाए। इसके साथ ही, भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार देने और मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाने की भी मांग की गई है। इन सभी मांगों को लेकर किसान सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं और उनका संघर्ष आगे भी जारी रहने का इरादा रखते हैं।