नई दिल्ली: बीते कुछ समय से किसान आंदोलन ने सरकार की परेशानियां और अधिक बढ़ा दी है इस बीच कृषि कानूनों के खिलाफ अन्नदाताओं का आंदोलन अभी भी जारी है। वहीं किसान नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को बताया कि भारत सरकार चर्चा करना चाहती है तो हम तैयार हैं। साथ ही बताया कि 22 जुलाई से हमारा दिल्ली जाने का प्रोग्राम रहेगा। 22 जुलाई से संसद सत्र आरम्भ होगा तथा 22 जुलाई से हमारे 200 व्यक्ति संसद के पास धरना देने जाएंगे।
We'd not said that we'll take up issue of new farm bills at United Nations. We'd responded to a question over Jan 26 incident. Is there any agency here that can conduct an impartial investigation? If not should we take this matter to the UN?: BKU leader Rakesh Tikait pic.twitter.com/YsPCkhJ87X
— ANI (@ANI) July 10, 2021
वहीं राकेश टिकैत ने संयुक्त राष्ट्र में नए कृषि बिलों का मसला उठाए जाने पर बताया कि मैंने ये नहीं बोला था कि कृषि क़ानूनों को लेकर संयुक्त राष्ट्र जाएंगे। हमने बताया था कि 26 जनवरी के घटना की निष्पक्ष जांच हो जाए। यदि यहां की एजेंसी जांच नहीं कर रही है तो क्या हम संयुक्त राष्ट्र में जाएं? इससे पूर्व बृहस्पतिवार को राकेश टिकैत ने पूछा की सरकार मंडियों के द्वारा 1 लाख करोड़ रुपए कैसे पहुंचाएगी? ये अनाज के रूपये तो दे नहीं रहे हैं, सरकार मंडियों को लोन देने की संस्था कैसे बनाएगी?
सरकार दिल्ली में बैठकर ही ये बात कहती है, उन्हें नहीं पता होगा कि गांवों में अन्नदाता अनाज की ट्रोली लिए घूम रहे हैं। एमएसपी पर खरीद नहीं होती। टिकैत ने आगे बताया कि अबतक मुश्किल से कुल अनाज की 40 फीसदी खरीद हुई होगी। वहीं अन्नदाता से सस्ते में अनाज खरीद कर एफसीआई को जाता है। टिकैत ने बताया कि नारियल बोर्ड का सीईओ अब निजी व्यक्ति बनेगा, वो भी सरकार का चहेता होगा। ऊपर से नामांकित होगा।
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