श्रीनगर: तीन बार जम्मू कश्मीर के सीएम रह चुके फारूख अब्दुल्ला इस वक़्त श्रीनगर स्थित अपने घर में नज़रबंद हैं। पांच अगस्त को घाटी में लागू धारा 370 को हटाया गया और तब से ही फारूख घर से बाहर नहीं निकल सके हैं। निश्चित तौर पर जम्मू कश्मीर की सियासत में पिछले कई दशकों से सक्रिय अब्दुल्ला परिवार के लिए यह मुश्किल दौर है।
फारूख के बेटे और एक और पूर्व मुख्यमंत्री उमर भी नजरबंद हैं। इस कठिन दौर में फारूख को ईश्वर का सहारा मिला है। अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ के अनुसार, वह इस मुश्किल दौर में अपने धर्म के और करीब हो गए हैं। 83 साल के फारूख अब्दुल्ला की छोटी बहन सुरैया अब्दुल्ला ने बताया है कि वह आजकल दिन में पांच बार नमाज पढ़ने लगे हैं। अब्दुल्ला युसूफ अली की अनुवाद की गई कुरान को भी बहुत देर तक पढ़ते हैं। कुरान की वजह से उनका उत्साह इस कठिन दौर में भी बरकरार है।
बहन सुरैया ने बताया है कि, 'उनकी किडनी का ट्रांसप्लांट हो चुका है और पेसमेकर भी इंप्लांट किया गया। वह डायबिटीज से भी ग्रसित हैं, किन्तु उनका जोश कम नहीं हुआ है। उन्हें उम्मीद है कि वर्तमान हालातों में एक दिन कश्मीर की जनता के लिए अवश्य कुछ अच्छा सामने आएगा।' सुरैया के शब्दों में, 'फारूख साहब आजकल कुरान पढ़ रहे हैं और पांच बार नमाज़ अता करते हैं। उन्हें इससे काफी शक्ति मिलती है और हाल ही में उन्होंने कश्मीर पर मूसा रजा की एक किताब पूरी की है, जो हमारे मुख्य सचिव थे।'
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