शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना के लिए जाना जाता है। यह पर्व इस साल 3 अक्टूबर से शुरू हो रहा है, और पूरे भारत में भक्तगण इस पर्व को बड़े ही श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल हैं। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, और नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की। भक्तगण इस अवसर पर व्रत रखते हैं, विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, और मां दुर्गा को विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित करते हैं।
नवरात्रि और उपवास का धार्मिक और शारीरिक महत्व
नवरात्रि में व्रत रखना एक प्राचीन धार्मिक प्रथा है, जिसका उद्देश्य आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति है। लेकिन धार्मिक दृष्टिकोण से परे, व्रत रखने से हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को भी अनेक लाभ मिलते हैं। जब हम लगातार नौ दिनों तक व्रत रखते हैं, तो यह न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि शरीर को कई प्रकार के लाभ भी मिलते हैं।
1. उपवास से शरीर में होने वाले बदलाव
लगातार 9 दिनों तक उपवास रखने से शरीर में कई सकारात्मक बदलाव होते हैं। धार्मिक भावना के साथ किए गए इस उपवास से शरीर को डिटॉक्सिफाई करने का अवसर मिलता है। मॉडर्न हेल्थ ट्रेंड्स में भी उपवास का महत्व बढ़ता जा रहा है, जिसमें इंटरमिटेंट फास्टिंग का विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इंटरमिटेंट फास्टिंग में 16 से 18 घंटे तक भूखा रहना पड़ता है, जिससे शरीर को आराम मिलता है और यह खुद को ठीक करने में सक्षम होता है। इस दृष्टि से 9 दिनों का उपवास भी शरीर के लिए लाभदायक हो सकता है।
एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) के अनुसार, उपवास से वजन घटाने में मदद मिलती है और यह टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम कर सकता है। उपवास करने से शरीर को अतिरिक्त कैलोरी और अनावश्यक फैट से छुटकारा मिलता है, जिससे वजन नियंत्रण में रहता है।
2. डिटॉक्सिफिकेशन: शरीर को एक नई शुरुआत
उपवास के दौरान शरीर को भारी भोजन और जंक फूड से छुटकारा मिलता है। रोजमर्रा के खानपान में लोग अक्सर हाई-कैलोरी, ऑयली और अनहेल्दी फूड का सेवन करते हैं, जिससे पेट में भारीपन और एसिडिटी की समस्या हो जाती है। इस बीच, उपवास रखने से शरीर को एक तरह से "ब्रेक" मिलता है, जिससे यह खुद को साफ करने और रिफ्रेश करने का काम करता है।
9 दिनों तक व्रत और सात्विक भोजन करने से शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन होता है, जिससे न केवल पेट बल्कि त्वचा भी स्वस्थ होती है। विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने के बाद, पेट हल्का महसूस करता है, और त्वचा में निखार आता है।
3. इम्यूनिटी बूस्ट: बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाना
विशेषज्ञों का मानना है कि उपवास रखने से प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी में सुधार होता है। व्रत के दौरान हमारे शरीर में नई प्रतिरोधक कोशिकाओं का निर्माण होता है, जो मौसमी बीमारियों से लड़ने में मदद करती हैं।
अक्सर मौसम बदलने पर हमारी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, जिससे हम सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार जैसी समस्याओं का शिकार हो जाते हैं। परंतु, उपवास रखने से शरीर को इम्यून सिस्टम को मजबूत करने का समय मिलता है, जिससे हम मौसमी बीमारियों से बच सकते हैं।
4. वजन घटाने में सहायता
उपवास के दौरान भोजन में तेल और मीठे का सेवन कम हो जाता है। इसके स्थान पर लोग फलाहार और सात्विक भोजन का सेवन करते हैं, जो न केवल शरीर को हल्का महसूस कराता है, बल्कि वजन घटाने में भी मदद करता है। फलों में मौजूद पोषक तत्व और उच्च जल स्तर शरीर को हाइड्रेटेड रखते हैं, जिससे अतिरिक्त कैलोरी को जलाने में मदद मिलती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि फलाहार और सात्विक भोजन का सेवन करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और वजन नियंत्रण में रहता है। साथ ही, शरीर में जमा हुए विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने के बाद शरीर की मेटाबोलिक रेट भी सुधारती है, जिससे वजन घटाने की प्रक्रिया में तेजी आती है।
5. बेहतर नींद और मानसिक शांति
उपवास रखने से न केवल शरीर डिटॉक्स होता है, बल्कि यह मानसिक शांति भी प्रदान करता है। तला-भुना और भारी भोजन न करने से दिमाग में सकारात्मकता आती है, जिससे तनाव कम होता है। मानसिक तनाव कम होने से नींद में सुधार आता है और व्यक्ति को बेहतर नींद का अनुभव होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब हम उपवास करते हैं, तो हमारा मस्तिष्क भी बेहतर तरीके से काम करता है। उपवास के दौरान दिमाग की सफाई होती है, जिससे मानसिक शांति और संतुलन मिलता है। इस प्रक्रिया के दौरान तनाव कम होता है और मन को शांति मिलती है, जिससे अच्छी नींद आती है। नींद में सुधार होने से हमारा शरीर अधिक ऊर्जावान और सक्रिय महसूस करता है।
उपवास के अन्य लाभ
पाचन तंत्र में सुधार: उपवास के दौरान हल्का और सात्विक भोजन करने से पाचन तंत्र पर कम दबाव पड़ता है, जिससे यह सुचारू रूप से काम करता है। पाचन तंत्र के बेहतर होने से गैस, एसिडिटी और अपच की समस्या कम हो जाती है।
हृदय स्वास्थ्य में सुधार: कम तेल और कम नमक वाला भोजन करने से हृदय स्वस्थ रहता है। उपवास के दौरान कम वसा और कम कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन करने से हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम होता है।
ब्लड शुगर नियंत्रण: उपवास करने से ब्लड शुगर लेवल में भी सुधार होता है। टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए उपवास रखना फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इससे इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ती है और ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।
शारदीय नवरात्रि का उपवास न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका शरीर पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह न केवल शरीर को डिटॉक्स करता है, बल्कि इम्यूनिटी बूस्ट करता है, वजन घटाने में मदद करता है, और मानसिक शांति प्रदान करता है। उपवास के दौरान स्वस्थ और संतुलित भोजन करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
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