नई दिल्लीः देश और दुनिया की कई एजेंसियां इन दिनों भारत के विकास दर का अनुमान लगा रही है। इसी कड़ी में फिक्की ने भी मौजूदा वित्त वर्ष के लिए कम से कम 6.9 परसेंट जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान लगाया है। लेकिन पहले आए कई अनुमानों से फिक्की के अनुमान में अंतर यह है कि इसमें माना गया है कि इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर का प्रदर्शन ही जीडीपी को इस ऊंचाई तक पहुंचेगा। वैसे पहली तिमाही को लेकर फिक्की का अनुमान है कि जीडीपी ग्रोथ रेट छह परसेंट रहेगा।
सरकार 31 अगस्त को वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही के आंकड़े जारी करेगी।फिक्की ने देश के इकोनॉमिक आउटलुक को लेकर एक सर्वे कराया है। इस सर्वे में देश के अलग अलग इकोनॉमिस्ट से राय ली गई है। इस साल जून-जुलाई में कराए गए इस सर्वे में पूरे साल के जीडीपी ग्रोथ रेट के लिए न्यूनतम 6.7 परसेंट और अधिकतम 7.2 परसेंट का अनुमान लगाया गया है। फिक्की का मानना है कि पूरे वर्ष के लिए जीडीपी में इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर का योगदान अहम होगा।
सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष में इंडस्ट्री का ग्रोथ रेट 6.9 परसेंट और सर्विस सेक्टर का आठ परसेंट रहने का अनुमान है। सर्वे में हिस्सा लेने वाले अधिकांश इकोनॉमिस्ट्स का मानना है कि आरबीआइ फिलहाल नरम दरों की अपनी पॉलिसी पर कायम रहेगा। आरबीआइ वित्त वर्ष 2019-20 की शेष अवधि में रेपो रेट में अभी और कमी कर सकता है।
हालांकि, सर्वे में चालू वित्त वर्ष में रोजगार की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की गई है। लेकिन इस स्थिति में सुधार के लिए चार प्रमुख क्षेत्रों पर इकोनॉमिस्ट्स ने जोर दिया है जिनसे रोजगार के मोर्चे पर स्थितियां बदल सकती हैं। इनमें बिजनेस करने की लागत, रेगुलेटरी और लेबर रिफॉर्म्स तथा कुछ विशिष्ट क्षेत्रों के लिए स्पेशल पैकेज की घोषणा शामिल है।
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