14 जून से रूस में फुटबॉल महाकुंभ का आगाज होने वाला है. ब्राजील इस खेल का बादशाह है क्योकि अब तक हुए 20 विश्व कप में भाग लेने वाले ब्राजील ने पांच बार खिताब जीता है और इस बार भी वह प्रबल दावेदार है. ब्रजीलियन्स की रगो में फूटबाल की रवानगी दौड़ती है. विश्व को कई सुपरस्टार दिए है इस देश ने. यहां के खिलाड़ी डेढ़ के साथ साथ विदेशो के लिए भी खेले और वह भी अपनी तासीर नहीं भूले. विश्व के कई मुल्को में खेल के दम पर खुद को साबित किया है ब्राजील मूल के फुटबॉलर्स ने . तो जानिए ऐसे ही कुछ फुटबाल खिलाड़ियों के बारे में जिन्होंने देश के बाहर रहकर भी अपने उम्दा खेल से दुनिया का दिल जीता.
डिएगो कोस्टा (ब्राजील से स्पेन)
जन्म से डिएगो कोस्टा ब्राजील के निवासी हैं और उन्हें ब्राजील की राष्ट्रीय टीम में शामिल भी किया गया लेकिन उन्हें अपनी देश की टीम के लिए मैदान पर उतरने का कभी मौका नहीं मिला. ब्राजील की ओर से नहीं खेलने की वजह से वह किसी दूसरे देश की ओर से खेल सकते थे जिसके बाद उन्होंने स्पेन का रुख किया.
डेको (ब्राजील से पुर्तगाल)
बार्सिलोना के पूर्व खिलाड़ी डेको का जन्म ब्राजील में हुआ था लेकिन उन्हें अपनी राष्ट्रीय टीम की ओर से कभी खेलने को नहीं मिला. पुर्तगाल में छह साल गुजारने के बाद उन्होंने वहां की नागरिकता हासिल कर ली. यह इत्तेफाक ही था कि मिडफील्डर डेको को जब पुर्तगाल की राष्ट्रीय टीम में शामिल किया गया तो वह ब्राजील के खिलाफ ही पहला मुकाबला खेलने उतरे.
पेपे (ब्राजील से पुर्तगाल)
डेको की तरह सेंटर बैक पेपे का जन्म भी ब्राजील में हुआ और उन्होंने भी पुर्तगाल की नागरिकता हासिल की. पुर्तगाल की ओर से खेलने से पहले उन्हें कभी ब्राजील की राष्ट्रीय टीम से बुलावा नहीं आया. यहां तक कि जूनियर स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद यूथ टीम में भी उन्हें किसी ने नहीं पूछा. 2007 में पुर्तगाल की नागरिकता मिलने के बाद उन्हें राष्ट्रीय टीम से बुलावा आया 91 मुकाबले अब तक पुर्तगाल की ओर से खेल चुके हैं पेपे 2016 के यूरो कप के फाइनल में पेपे मैन ऑफ द मैच रहे. पुर्तगाल ने इस खिलाड़ी के गोल के दम पर फाइनल में फ्रांस को पछाड़ा था.
थिएगो मोता (ब्राजील से इटली)
थिएगो मोता ने 2003 के कोनकेकेफ गोल्ड कप में ब्राजील की ओर से खेला. 2011 में इटली की राष्ट्रीय टीम से बुलावा आया .
ककाओ (ब्राजील से जर्मनी)
क्लाउदेमीर जेरोनिमो बारेतो उर्फ ककाओ का जन्म ब्राजील के साओ पोलो में हुआ था. 2009 में जर्मनी का पासपोर्ट मिलने के बाद उन्होंने वहां की राष्ट्रीय टीम से खेलने की पात्रता हासिल की
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