नई दिल्ली: कश्मीरी हिन्दुओं पर हुए अत्याचार को दिखाने वाली फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' की रिलीज़ के बाद इस मुद्दे पर बहस तेज हो गई है। एक वकील और सामाजिक कार्यकर्ता ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे गए एक पत्र में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार से जुड़े सभी मामलों को फिर से खोलने और कश्मीर घाटी में क़त्ल की घटनाओं की पुनः जांच करने के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन करने का निर्देश देने की मांग की है।
वकील और सामाजिक कार्यकर्ता विनीत जिंदल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे अपने पत्र में 1989-1990 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के मामलों की जांच के लिए उन्हें फिर से खोलने और जांच के लिए एक SIT का गठन करने की मांग की है। जिंदल ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया हैं कि SIT को अब तक दर्ज किए गए सभी मामलों की पूरी तरह से जांच करनी चाहिए और पीड़ितों को एक मंच प्रदान करना चाहिए, जो इंसाफ सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तत्कालीन प्रतिकूल परिस्थितियों की वजह से अपने मामलों की रिपोर्ट करने में असमर्थ थे।
वकील ने तर्क दिया कि यदि 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों से संबंधित मामलों को फिर से खोला जा सकता है और दोबारा जांच की जा सकती है, तो 1990 के कश्मीरी पंडितों के मामलों को भी फिर से खोला जा सकता है और उनकी जांच की जा सकती है। जिंदल ने पत्र में लिखा कि घटनाओं के शिकार लोग शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक आघात की स्थिति में थे और बीते कई वर्षों से अपनी आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे थे और वे अपनी शिकायतों को दर्ज कराने, बयान दर्ज कराने की हालत में ही नहीं थे और इसलिए इंसाफ के अवसर से वंचित हैं।
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