भारतीय सिनेमा के इतिहास में सत्यजीत पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिनके पास ऑस्कर अवॉर्ड खुद चलकर आया था. जी हां...सत्यजीत ने देश में ही नहीं पूरी दुनिया में अपने काम का लोहा मनवाया था. आज उनके जन्मदिन के मौके पर आइए जानते है उनसे जुड़ी कुछ खास बातें...
आज ही के दिन उनका जन्म साल 1921 में कोलकता में हुआ था. उन्होंने ग्राफिक डिजाइनर के रूप में साल 1943 में काम शुरू किया था. वहीं उन्होंने विभूतिभूषण बंधोपाध्याय के मशहूर उपन्यास पाथेर पांचाली में बाल संस्करण तैयार करने में अहम भूमिका अदा की थी. उन्हें साल 1950 में अपनी कंपनी के काम से लंदन जाने का मौका मिला था, जहां उन्होंने कई फ़िल्में देखी. वहीं जब वे भारत लौटे तो उन्होंने यह तय कर लिया था कि अब पाथेर पांचाली पर फिल्म बनाई जाएगी.
1952 में सत्यजीत ने एक नौसिखिया टीम के साथ फिल्म की शूटिंग शुरू की और एक नए फिल्मकार पर कोई दांव लगाने को तैयार भी नहीं था तो खुद के पास जितने पैसे थे फिल्म में उन्होंने लगा डाले यहां तक कि उन्होंने पत्नी के गहने जेवर भी बेच दिए थे. लेकिन अंत में उनकी मदद पश्चिम बंगाल सरकार ने की और उनके फिल्म साल 1955 में रिलीज हुई. ख़ास बात यह रही कि समीक्षकों और दर्शकों ने इस फिल्म को काफी पसंद किया.फ्रांस के कांस फिल्म फेस्टिवल में फिल्म को विशेष पुरस्कार बेस्ट ह्यूमन डॉक्यूमेंट भी मिला. जबकि साल 1992 में सत्यजीत को ऑस्कर (ऑनरेरी अवॉर्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट) मिला. यह एक ख़ास बात थी कि उस दौरान वे बहुत बीमार थे. ऐसे में ऑस्कर के पदाधिकारियों ने यह फैसला लिया कि ये अवॉर्ड उनके पास पहुंचाया जाएगा. फिर पदाधिकारियों की टीम कोलकाता में सत्यजीत रे के घर पहुंची थी और उन्हें उनके घर पर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था.
VIDEO : 'मजदूर' बने आमिर खान, हाथ में कुदाल लेकर किया काम
सोशल मीडिया पर इस प्लस साइज मॉडल ने लगाई आग, संभलकर देखें तस्वीरें