बात करें रमेश के फ़िल्मी करियर की तो रमेश के पिताजी खुद एक फिल्म प्रोड्यूसर थे. और करीब 9 साल की उम्र में फिल्म 'शहंशान' में उन्होंने एक चाइल्ड एक्टर के रूप में पहली बार कैमरा का सामना किया था. यह फिल्म 1953 में रिलीज़ की गई थी. इसके बाद रमेश ने बतौर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर काम करना स्टार्ट किया. और उन्होंने उस दौर के महान कलाकारों के साथ फिल्म 'अंदाज़' बनाई. इस फिल्म में राजेश खन्ना, हेमा मालिनी और शम्मी कपूर थे जिसे 1971 में रिलीज़ किया गया था.
इसके बाद उन्होंने हेमा मालिनी के डबल रोल को लेकर साल 1972 में 'सीता और गीता' बनाई. लगातार दो फिल्मों के ब्लॉक बस्टर हिट होने के बाद रमेश का मनोबल और आत्मविश्वास बड़ गया और उन्होंने उसके बाद शोले बना डाली. इस फिल्म के बाद रमेश का ऐसा नाम हुआ कि दर्शक फिर हर फिल्म को 'शोले' की बराबरी का आंकने लगे. फिल्म की अपार सफलता इतनी थी कि यह 5 सालों से भी ज्यादा समय तक मुंबई मेट्रो सिनेमाघरों में चलने वाली मूवी बनी. इसके बाद साल 1980 में उन्होंने 'शान' फिल्म बनाई जो एक मल्टी स्टारर फिल्म थी. इसके बाद रमेश सिप्पी ने कई हिट फिल्मों में अपना योगदान दिया. ये हैं सुपरहिट फिल्में-
बतौर डायरेक्टर-
अंदाज (1971), सीता और गीता (1972), शोले (1975), शान (1980), शक्ति (1982), सागर (1985), जमीन (1987), भ्रष्टाचार (1989), जमाना दीवाना (1995), टीवी सीरियल- बुनियाद.
बतौर प्रोड्यूसर-
ब्रह्मचारी (1968), कुछ ना कहो (2003), ब्लफमास्टर (2005), टैक्सी नंबर 9211(2006), चांदनी चौक टू
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