श्रीनगर: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं की जांच, केंद्रीय जांच एजेंसी (NIA) से कराने का केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का फैसला बेहद अहम है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के सहयोग से होने वाली इस तफ्तीश का उद्देश्य पाकिस्तान स्थित आतंकी गुटों की मिलीभगत को उजागर करना है। इसका पूरा फोकस विशेषकर लश्कर-ए-तैएबा (LeT) पर रहने वाला है। बता दें कि इस महीने राजौरी में हुए 2 आतंकी हमलों को ध्यान के रखकर यह कदम उठाया जा रहा है।
2023 की शुरुआत में ही यानी 1 और 2 जनवरी को राजौरी के अंतर्गत आने वाले धांगरी गांव में दो बच्चों सहित 7 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। ये सभी लोग जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय से थे। रिपोर्ट्स बताती हैं कि हमलावर लाहौर स्थित लश्कर ग्रुप से जुड़े हुए थे। इस गुट का चीफ पाकिस्तानी नागरिक सैफुल्लाह सज्जाद जट्ट और उसकी कश्मीरी पत्नी है। इनका टारगेट राजौरी और पूंछ जिलों में हिंदुओं के बीच खौफ फैलाना है।
बता दें कि, अमित शाह ने जम्मू राजभवन में शुक्रवार (13 जनवरी) को उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक का नेतृत्व किया। उन्होंने जम्मू क्षेत्र के लोगों को नई कार्ययोजना के साथ सुरक्षित माहौल का आश्वासन दिया है। गृह मंत्री ने कहा कि समयबद्ध कार्य योजना तैयार की गई है, जिसमें जम्मू संभाग के सभी क्षेत्रों में तीन माह के अंदर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की परिकल्पना की गई है। उन्होंने कहा कि, 'मीटिंग में जमीनी कार्यकर्ताओं, आतंकी समूहों की सहायता प्रणाली और उनके मुखबिरों के मुद्दे पर भी विस्तार से चर्चा हुई। हम कह सकते हैं कि (आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए) सुरक्षा खाका तैयार किया गया है। खुफिया एजेंसियों ने भी अपनी गतिविधियां बढ़ाने के लिए रणनीति तैयार की है।'
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