नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को एक आयोजन में सरकारी बैंकों के निजीकरण बड़ा बयान देते हुए कहा कि सरकारी बैंकों का निजीकरण नहीं होगा .यह कार्य इतना आसान नहीं है . इसके लिये राजनीतिक दल भी तैयार नहीं होंगे .
उल्लेखनीय है कि एक कार्यक्रम में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण के किसी भी प्रस्ताव को राजनीतिक दलों की सहमति की जरूरत होगी. इसके लिए बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट में संशोधन करना होगा . मुझे नहीं लगता कि देश का राजनीतिक जगत सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण प्रस्ताव के पक्ष में खड़ा होगा. यह बेहद चुनौतीपूर्ण निर्णय है.
बता दें कि पीएनबी घोटाले के सामने आने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों के निजीकरण की आवाज उठने लगी है. फिक्की, एसोचैम, सीआईआई सहित उद्योग क्षेत्र की अन्य संस्थाओं ने सार्वजनिक बैंकों में सरकार से अपनी हिस्सेदारी घटाने की बात उठाई . इसी संदर्भ में शुक्रवार को फिक्की के अध्यक्ष रशेष शाह ने वित्त मंत्री से मुलाकात कर उनसे प्रक्रिया के तहत सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण करने का आग्रह किया था. दरअसल उद्योग जगत अब बैंकों में बार -बार हो रहे घोटालों से चिंतित है .इन घोटालों से एनपीए बढ़ता है जिसका अंततः बोझ जनता पर ही आता है.
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