मिडिल क्लास, इनकम टैक्स, फ्रीबीज..', Budget पर सीतारमण ने दिए कई सवालों के जवाब

मिडिल क्लास, इनकम टैक्स, फ्रीबीज..', Budget पर सीतारमण ने दिए कई सवालों के जवाब
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नई दिल्ली: मुफ्त की रेवड़ियों (Freebies) को लेकर देश में निरंतर बहस जारी है। विभिन्न राज्य सरकारें और केंद्र सरकार इस मुद्दे पर आमने-सामने हैं। फ्रीबीज को लेकर चल रही इस बहस के बीच आगामी बजट से मीडिल क्लास को काफी उम्मीदें हैं। बजट से पहले एक इंटरव्यू के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार ने मध्यम वर्ग की जेब में पैसा नहीं डाला, मगर उन्हें मेट्रो और स्मार्ट शहर दिए, जिससे उनका जीवन आसान हो गया।

इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस मुद्दे में पड़ने का कोई औचित्य नहीं, कि फ्रीबीज क्या है और क्या नहीं। मुख्य मुद्दा यह है कि अगर आपके पास पैसा है, तो वादे करें और जो आप चाहते हैं उसे दें और आखिर में भुगतान करें। Budget 2023 से मीडिल क्लास की उम्मीदों को लेकर जब उनसे सवाल पुछा गया, तो उन्होंने कहा कि, 'मैं मध्यम वर्ग का प्रेशर महसूस कर सकती हूं, मगर मुझे बताइए, क्या अभी तक मध्यम वर्ग पर कोई नया टैक्स (New Tax) लगा है। 5 लाख रुपये वेतन तक कोई टैक्स नहीं है। हम 27 शहरों तक मेट्रो लेकर गए हैं। क्या यह सुविधाएं मध्यम वर्ग के लिए नहीं है?'

निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि मीडिल क्लास आज नौकरियों और व्यापार की खोजबीन में गांवों से शहर की ओर माइग्रेट कर रहा है। हमने 100 से अधिक स्मार्ट शहर बनाने के लिए फंड दिए हैं। क्या यह मीडिल क्लास की जिंदगी आसान बनाने के लिए नहीं है? मैंने मध्यम वर्ग के प्रत्येक व्यक्ति की जेब में सीधे तौर पर पैसा नहीं डाला है, मगर ये सुविधाएं 100 स्मार्ट शहरों के मध्यम से प्रदान की गई हैं।' इंटरव्यू के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फ्रीबीज (freebies) के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की। बता दें कि, फ्रीबीज के मुद्दे पर राज्य सरकारों और केंद्र सरकार में बहस छिड़ी हुई है। राज्यों का कहना है कि राज्य सरकारों की वेलफेयर स्कीम्स को फ्रीबीज क्यों कहा जा रहा है, जबकि केंद्र के अनुदानों को जनहित की योजना कहा जाता है।

इस पर सीतारमण ने कहा कि, 'मुद्दा यह नहीं है कि क्या freebie है और क्या नहीं। आप चुनाव से पहले कुछ वादा करते हैं। जैसे- आप मुफ्त बिजली का वादा करते हैं। लेकिन जब आप सत्ता में आते हैं, तभी आप राज्य की आर्थिक स्थिति के संबंध में जान पाते हैं। मान लीजिए कि राज्य की आर्थिक हालत अच्छी है, तो आप फ्री बिजली दे सकते हैं। आप इसे बजट में भी दिखाइए और साल के आखिर में आपकी बैलेंस शीट बेहतर होनी चाहिए। तब यह फ्रीबीज नहीं है।' हालांकि, वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह भी एक हद तक होना चाहिए, क्योंकि बजट का उपयोग संपत्ति निर्माण के लिए किया जाना चाहिए, न कि दैनिक खर्चों के लिए।

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