छत्तीसगढ़: रमन सरकार में संपन्न हुए घोटाले धीरे-धीरे आ रहे सामने

छत्तीसगढ़: रमन सरकार में संपन्न हुए घोटाले धीरे-धीरे आ रहे सामने
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भारत के राज्य छत्तीसगढ में इन दिनों एक के बाद एक रमन सरकार के दौरान हुए घोटाले सामने आ रहे हैं. इसी फेहरिस्त में एक और घोटाला सामने आया है और घोटाले का आरोपी फिलहाल कोई और नहीं रमन सरकार में रहे निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता हैं. आरोप है कि गुप्ता ने गरीब तबके को चिकित्सीय सुविधा दिलाने के नाम पर अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग किया और छत्तीसगढ़ सरकार से तीन करोड़ रूपये का अनुदान हासिल किया.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि लेकिन अनुदान राशि से चिकित्सीय सुविधा के बजाय बैंक का कर्ज अदा करके वित्तीय अनियमितता बरती गई. जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि नियम कानून को ताक में रखकर चेरिटेबल ट्रस्ट का संचालन निजी लाभ के लिए किया जाता रहा. एमजीएम, मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट में हुए आर्थिक अनियमितता के मामले में निलंबित डीजी आईपीएस मुकेश गुप्ता के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज कर ली है.मानिक मेहता की शिकायत के बाद ईओडब्ल्यू ने अपने प्रारंभिक जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर निलंबित आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता, एमजीएम के मुख्य ट्रस्टी जयदेव गुप्ता और डायरेक्टर डा. दीपशिखा अग्रवाल के विरूद्ध भादवि की धारा 420, 406, 120 (बी) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किया है. गौरतलब है कि मुकेश गुप्ता छत्तीसगढ़ में भाजपा शासनकाल में प्रभावशाली अधिकारी थे.
इस मामले को लेकर मुकेश गुप्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर के मुताबिक एमजीएम ट्रस्ट ने गरीबों का नि:शुल्क मोतियाबिंद आपरेशन कराने, शासकीय कर्मचारियों को विशिष्ठ चिकित्सा सुविधा का लाभ देने तथा मेडिकल स्टॉफ को प्रशिक्षण देने के नाम पर साल 2006 में दो करोड़ और 2007 में एक करोड़ रूपए का अनुदान राज्य शासन से प्राप्त किया. बाद में इस राशि का दुरूपयोग करते हुए ट्रस्ट के बैंक कर्ज अदा किया गया.
 
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