भोपाल: बागेश्वर धाम सरकार के नाम से लोकप्रिय कथावाचक आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने अपने ऊपर लग रहे इल्जामों पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि हम अंधविश्वास नहीं फैला रहे। हम इस बात का दावा नहीं करते कि हम कोई परेशानी दूर कर रहे हैं। मैंने कभी नहीं कहा कि मैं भगवान हूं। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि अनुच्छेद-25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार है तथा उसी के तहत वह धर्म का प्रचार करते हैं। तत्पश्चात, धीरेंद्र शास्त्री ने गुस्साते हुए कहा- मैं संविधान को मानने वाला व्यक्ति हूं। यदि हनुमान भक्ति करना गुनाह है तो सभी हनुमान भक्तों पर FIR होनी चाहिए, फिर सोच लो ये लोग तुम्हारा चेहरा कैसे लाल करते हैं।
धीरेंद्र शास्त्री पर इल्जाम लगते रहते हैं कि वो संत होकर अभद्र भाषा बोलते हैं। इस पर बाबा ने कहा कि वो संत ही नहीं हैं तो फिर अभद्रता कैसी? उन्होंने कहा कि हमारा डिस्क्लेमर है कि हम कोई संत नहीं हैं। ध्यान हो कि धीरेंद्र शास्त्री मध्य प्रदेश के छतरपुर में बागेश्वर धाम में कथा वाचन करते हैं। मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में उनका प्रभाव है। धीरेंद्र शास्त्री की महाराष्ट्र के नागपुर में 'श्रीराम चरित्र-चर्चा' का आयोजन हुआ था। अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर जादू-टोने एवं अंधश्रद्धा फैलाने का इल्जाम लगाया था। समिति के अध्यक्ष श्याम मानव ने बोला था कि 'दिव्य दरबार' एवं 'प्रेत दरबार' की आड़ में जादू-टोना को बढ़ावा दिया जा रहा है। देव-धर्म के नाम पर आम लोगों को लूटने, धोखाधड़ी एवं शोषण भी किया जा रहा है।' तत्पश्चात, दावा किया गया है कि अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के कारण दो दिन पहले ही यानी 11 जनवरी को ही धीरेंद्र शास्त्री की कथा संपन्न हो गई।
बताया जा रहा है कि जब समिति ने पुलिस से शिकायत की तो शास्त्री भाग निकले। समिति ने कहा कि बाबा के समर्थकों को यह बात पता चल गई कि महाराष्ट्र में जो अंधश्रद्धा विरोधी कानून है, उसमें गिरफ्तारी हुई तो जमानत नहीं होगी, इसलिए बाबा ने पहले ही पैकअप कर लिया। लगभग एक सप्ताह की चुप्पी के पश्चात् शास्त्री ने इसपर कहा- मैं नागपुर से नहीं भागा। यह सरासर झूठी बात है। हमने पहले ही बता दिया था कि 7 दिन का ही कार्यक्रम होगा। तत्पश्चात, उन्होंने कहा कि जब मैंने दिव्य दरबार लगाया था तब शिकायत लेकर क्यों नहीं आए? ये छोटी मानसिकता के लोग हैं एवं हिंदू सनातन के विरोधी हैं।
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