बैंगलोर: कर्नाटक सरकार ने वैवाहिक दुष्कर्म के एक मामले में एक पति के खिलाफ केस चलाने का समर्थन किया है. राज्य सरकार ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले का समर्थन करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल किया है. उच्च न्यायालय ने पत्नी के साथ जबरन यौन संबंध के लिए IPC की धारा 376 के तहत पति के खिलाफ लगाए गए आरोपों को कायम रखा गया है.
जबकि पहले केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दाखिल याचिकाओं में IPC की धारा 375 के अपवाद 2 को चुनौती देते हुए वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) को आपराधिक बनाने पर स्पष्ट रुख अपनाने से परहेज किया था. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने वैवाहिक दुष्कर्म की FIR को निरस्त करने से इनकार करते हुए फैसला सुनाया था. न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने कहा कि IPC की धारा 375 के अपवाद 2-जो एक पति को अपनी पत्नी के खिलाफ दुष्कर्म के अपराध से छूट देता है “पूर्ण” नहीं है.
उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि एक पुरुष, एक पुरुष है, एक अधिनियम, एक अधिनियम है और बलात्कार एक बलात्कार है, चाहे वह पति द्वारा ही क्यों न किया गया हो. वैवाहिक बलात्कार अपवाद की संवैधानिकता पर कोई घोषणा किए बिना उच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों में इस प्रकार के यौन हमले/बलात्कार के लिए पति को पूरी रियायत नहीं हो सकती, क्योंकि कानून में कोई छूट नहीं है.
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