मुंबई: महाराष्ट्र के मुंबई शहर की डिंडोशी सेशन कोर्ट ने वर्ष 2015 में ट्यूशन क्लास जा रही 15 वर्ष की नाबालिग का पीछा करने और "आजा आजा" बोलने के इल्जाम में 32 वर्षीय व्यक्ति को एक वर्ष की जेल की सजा सुनाई है। 15 वर्ष की नाबालिग की मां ने FIR दर्ज कराई थी। इसमें शिकायत की गई थी कि नाबालिग छात्रा पहले विद्यालय जाती थी एवं विद्यालय की छुट्टी होने के बाद ट्यूशन जाती थी। 1 सितंबर 2015 को दोपहर लगभग 1।50 बजे जब नाबालिग अपनी साइकिल से ट्यूशन के लिए जा रही थी, तो अपराधी ने उससे कहा, "आजा, आजा"। इससे नाबालिग घबरा गई एवं उसने आसपास खड़े लोगों से सहायता की गुहार लगाई। हालांकि इसी बीच अपराधी भाग गया।
शिकायत में बताया गया था कि अपराधी ने 3 सितंबर 2015 को भी ऐसा ही किया एवं अगले दिन वह उसकी बिल्डिंग में आ धमका एवं नाबालिग पर नजर रखने लगा। तत्पश्चात, नाबालिग ने अपने माता-पिता को इसके बारे में बताया। इसके बाद उन्होंने अपराधी की तलाश आरम्भ कर दी। 6 सितंबर को नाबालिग ने अपराधी की पहचान कर ली।
वही इस मामले की सुनवाई के चलते अदालत में अपराधी ने स्वयं को निर्दोष बताया एवं सभी आरोपों से मना किया, जबकि जस्टिस ए। जेड। खान ने बोला कि मेरा विचार है कि अभियोजन पक्ष ने साबित किया है कि अपराधी ने नाबालिग छात्रा का पीछा किया एवं बार-बार 'आजा, आजा' कहकर संबोधित किया। अदालत ने कहा कि यौन उत्पीड़न के दायरे में आता है। कोर्ट ने कहा कि अपराधी द्वारा किया गया अपराध न तो दबाव में है तथा न ही लड़की की तरफ से उकसावे पर किया है, बल्कि अपराधी ने नाबालिग के साथ ऐसा अपराध किया है, जिसके लिए अपराधी नरम रुख का हकदार नहीं है। अपराधी के एडवोकेट की तरफ से दलील दी गई कि अपराधी की पत्नी और तीन वर्ष की बेटी है, इसे देखते हुए उसकी सजा कम की जाए। मगर अदालत ने सजा कम करने से मना कर दिया।
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