चंडीगढ़: कोरोना से पीड़ित पंजाब के जालंधर में ग्रीन फंगस का पहला मामला प्राप्त होने से हंगामा मच गया है। चिकित्सक टीम रोगी की पूरी हिस्ट्री तैयार करने में जुट गई है। 61 वर्ष के रोगी को मार्च में कोरोना हुआ था। स्वस्थ होने के पश्चात् जून में उसे ग्रीन फंगस की पुष्टि हुई है। जालंधर सिविल हॉस्पिटल के चिकित्सक परमवीर सिंह ने कहा कि ये रोगी हाल ही में कोरोना से ठीक हुआ था, उसे ऑब्जर्वेशन में रखा गया है, अभी अधिक कुछ नहीं बोल सकते। पहले भी ग्रीन फंगस का एक मामला आया था मगर वह कंफर्म नहीं हो पाया था।
बता दें कि रोगी बाबा बकाला का रहवासी है तथा वह अमृतसर मार्ग पर स्थित मकसूदां स्थित सेक्रेड हार्ट हॉस्पिटल के आईसीयू में एडमिट है। ग्रीन फंगस का पहला रोगी कुछ दिन पूर्व मध्यप्रदेश के इंदौर में मिला था। कोरोना संक्रमित रोगियों के स्वस्थ होने के पश्चात् ब्लैक फंगस सहित कई रोग जकड़ रही है तथा जालंधर में देश का दूसरा ग्रीन फंगस का रोगी प्राप्त होने से डॉक्टर्स में हड़कंप मच गया है।
चिकित्सक परमवीर सिंह ने आगे बताया कि ग्रीन फंगस के मरीज को खांसी, सीने में दर्द तथा सांस लेने में तकलीफ है. ग्रीन फंगस का दूसरा नाम Aspergillosis है। हम मरीज की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एसपरजिलस फंगस को ही सामान्य भाषा में ग्रीन फंगस बोला जाता है। एसपरजिलस कई प्रकार की होती है। ये शरीर पर काली, नीली हरी, पीली हरी तथा भूरे रंग की पाई जाती है। एसपरजिलस फंगल संक्रमण भी फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है। इसमें फेफड़ों में मवाद भर जाता है, जो इसे भयंकर बना देता है। दरअसल, यह फंगस फेफड़ों को बहुत रफ़्तार से संक्रमित करता है।
रोनाल्डो के वायरल वीडियो पर अब करीना कपूर ने दी मजेदार प्रतिक्रिया, पोस्ट शेयर कर कह डाली ये बात
आज होगा LJP पर चिराग के दावे का बड़ा इम्तिहान, बैठक में नजर आएंगी असली पावर
UAE में काम करने वाले भारतीयों के लिए खुशखबरी, अमीरात एयरलाइन इस दिन से फिर शुरू करेगी उड़ानें