पहली बार उल्कापिंडों में वैज्ञानिकों को ‘शुगर मॉलीक्यूल’ की उपस्थिति का प्रमाण मिला है. धरती पर जीवन की शुरुआत होने में ‘शुगर मॉलीक्यूल’ की अहम भूमिका मानी जाती है. इस खोज से पृथ्वी पर जीवन पनपने में उल्कापिंडों की भूमिका को मजबूती मिली है। पीएनएएस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि जैविक प्रक्रिया के लिए शर्करा (शुगर) महत्वपूर्ण है.
चीन की मदद से नेपाल में शुरू हुई पनबिजली परियोजना, पीएम ओली ने किया उद्घाटन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी पर शुगर मॉलीक्यूल आने से ही कुछ शुरुआती जटिल जैविक अणुओं का निर्माण हुआ होगा. जापान की तोहोकु यूनिवर्सिटी के योशिहिरो फुरकावा सहित अन्य शोधकर्ताओं ने तीन गैर धात्विक और कार्बन की अधिकता वाले उल्कापिंडों का विश्लेषण किया. इनमें से एक मार्चिसन उल्कापिंड है, जो 1969 में ऑस्ट्रेलिया में गिरा था.
दुबई में शो हुई दुनिया की सबसे तेज रफ़्तार कार,जापान में हुई मनुफेक्चरिंग
इन उल्कापिंडों में अध्ययन में राइबोस के रूप में शुगर मॉलीक्यूल पाया गया. राइबोस विशेष रूप से हमारे राइबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) का मूल घटक होता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि महत्वपूर्ण बात यह है कि उल्कापिंडों में पाए गए राइबोस का निर्माण अंतरिक्ष में हुआ था. उन्होंने अंतरिक्ष में इस शुगर मॉलीक्यूल की संभावित निर्माण प्रक्रिया का प्रयोगशाला में कंप्यूटर सिमुलेशन भी किया.
चीन ने अमेरिका को चेताया, आंतरिक मामलों में दखल देने पर जवाबी कारवाई झेलने के लिए रहे तैयार
अमेरिकी कांग्रेस नेता ने की PM मोदी की प्रशंसा, अनुच्छेद-370 हटाने पर दिया बड़ा बयान
BIMSTEC: भारत ने कही बड़ी बात, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया का बताया पुल