नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ऐसा पहला मौका होगा जब वह बुधवार को एक हाईकोर्ट के कार्यकारी जज के खिलाफ अवमानना की सुनवाई करेगा. बता दें कि जस्टिस कर्णन ने कुछ दिन पहले ही पीएम मोदी को पत्र लिखकर न्यायपालिका पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे .सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवमानना का मामला मानकर सुनवाई करने का फैसला लिया था. सूत्रों के अनुसार कर्णन पर न्याय में बाधा डालने का आरोप लगाया जा सकता है. स्मरण रहे कि इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट अपने ही पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू पर भी कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई कर चुका है.
गौरतलब है कि जस्टिस कर्णन का कार्यकाल पहले भी विवादों में रह चुका है. मद्रास हाईकोर्ट में रहते हुए उन्होंने अपने ही चीफ जस्टिस के खिलाफ आदेश जारी कर दिया था.यही नहीं 2011 में उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में साथी जज के खिलाफ जातिसूचक शब्द कहने की शिकायत भी दर्ज कराई थी. एक अन्य मामले में वर्ष 2014 में मद्रास हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर उन्होंने तत्कालीन चीफ जस्टिस के चेंबर में घुस कर उनसे बदसलूकी की थी. सबसे बड़ा मामला तो वह था जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई के कॉलेजियम के द्वारा उन्हें मद्रास से कोलकाता हाईकोर्ट तबादला करने के फैसले पर खुद ही स्टे कर दिया था.
पीएम को लिखे पत्र में कर्णन ने न्यायपालिका के भ्रष्टाचार का जिक्र कर लिखा कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पूरी तरह से बिना भय के फैला हुआ है. दो पन्नों के पत्र में उन्होंने एक शुरुआती सूची दे रखी है, जिसमें 20 मौजूदा और पूर्व जजों के नाम हैं. इनमें देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तथा कई हाईकोर्ट के जजों के नाम भी शामिल हैं.
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