ऑनलाइन कारोबार को लेकर भारत में हो रहे नीतिगत व अन्य परिवर्तन से इस क्षेत्र की बड़ी विदेशी ऑनलाइन कंपनियों पर खासा असर पड़ने के आसार दिख रहे हैं। वही रेटिंग एजेंसी Fitch का कहना है कि मुकेश अंबानी नियंत्रित Reliance Retail के ई-कॉमर्स कारोबार में कदम रखने से भी भारत में काम कर रही अंतरराष्ट्रीय E-Commerce कंपनियों को बड़े दबाव का सामना करना पड़ सकता है। फिच सॉल्यूशंस ने कहा है कि ई-कॉमर्स नीति पर काम चल रहा है और इसके मार्च से प्रभाव में आने की उम्मीद है।
इसके अलावा पहले जारी मसौदा दिशा-निर्देशों के तहत विदेशी ऑनलाइन विक्रेताओं को उन कंपनियों या सहयोगियों के उत्पादों को बेचने से रोका गया है, जिनमें उनकी इक्विटी हिस्सेदारी है। इसके अलावा, सरकार बड़े ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं और छोटे उद्यमियों के बीच विवाद को सुलझाने के लिए एक नियामकीय प्राधिकरण स्थापित करने की संभावनाओं पर भी काम कर रही है।फिच ने कहा, ‘हमारा मानना है कि बार बार निवेश के बावजूद Amazon और Flipkart जैसी अंतरराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियों को नीतिगत परिवर्तनों और रिलायंस रिटेल के ई-कॉमर्स मंच ‘JioMart’ के डिजिटल बाजार में कदम रखने से दबाव का खतरा बढ़ गया है।’ रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘नई नीति के तहत, अंतरराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियों के भारत में बाजार बिगाड़ने वाली कीमतें निर्धारित करने और भारी छूट देने पर रोक हो सकती है ।’
इसके अलावा, ई-कॉमर्स कंपनियों को स्टोर से जुड़े आंकड़े भारत स्थित सर्वर में रखने होंगे। इससे उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। बतया जा रहा है कि पिछले दिनों एक अध्ययन के आधार पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) ने विदेशी ऑनलाइन कंपनियों को डिस्काउंट और प्राइसिंग के मुद्दे पर कठघरे में खड़ा किया है। आयोग का मानना है कि खासतौर पर मोबाइल फोन के मामले में ई-कॉमर्स कंपनियां इतना ज्यादा डिस्काउंट देती हैं कि घरेलू खुदरा कारोबारियों के लिए उनके सामने टिक पाना मुश्किल हो जाता है। सीसीआइ के अनुसार यह कई अन्य कैटेगरी के उत्पादों के साथ हो रहा है, जिसकी वह जांच करेगा।
अमेरिका-ईरान में गहराते तनाव से भारतीय बाजार में उथल-पुथल, जानिए क्या हुआ असर
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हो रही है लगातार वृद्धि, जानिये आपके शहर में क्या है दाम
Infosys Q3 results: 4,466 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ लेकर तीसरी तिमाही में 23.7 फीसद की बढ़ोतरी