पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में विश्वासमत प्रस्ताव पेश कर दिया है। हालांकि विश्वासमत को लेकर विपक्षी विधायकों ने राजनीति तेज कर दी है राजद विधायक विधानसभा के बाहर धरना देने में लगे हैं। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार पर तरह तरह के आरोप लगाते हुए अपना विरोध जाताया है हालांकि सीएम नीतीश कुमार ने विधानसभा में बोलते हुए कहा कि सत्ता सेवा के लिए है। दूसरी ओर तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश का विरोध करते हुए कहा कि मैं प्रस्ताव के विरोध में हूॅं। उन्होंने कहा कि बिहार में जनाधार भाजपा के खिलाफ था लेकिन नीतीश ने उनसे हाथ मिलाकर जनाधार का विरोध किया है।
उनका कहना था कि कांग्रेस और राजद ने ही नीतीश कुमार के वजूद को बचाया था मगर अब नीतीश कुमार बिहार को धोखा दे रहे हैं। गौरतलब है कि पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव विधानसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर विरोध कर रहे हैं तो दूसरी ओर राजद ने उच्च न्यायालय में जेडीयू भाजपा गठबंधन द्वारा सरकार गठन को लेकर विरोध करते हुए याचिकार दायर की थी। इस याचिका को स्वीकार कर लिया गया है माना जा रहा है कि इस मामले में सुनवाई सोमवार को होगी। अपने उपर लगाए गए आरोपों को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि कांग्रेस के लोग अहंकार में जीने वाले हैं।
महागठबंधन में हमने 40 सीटों पर चुनाव लड़वाया मगर कांग्रेस को 15 से अधिक सीट नहीं मिलने वाली थी। हालांकि नीतीश कुमार को भाजपा के साथ गठबंधन के लिए अपने ही दल के नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ गया। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव को नीतीश ने भाजपा से गठबंधन के कारण बताए और उन्हें इस गठबंधन के फायदे बताए। मगर इसके बाद भी जेडीयू के कुछ नेता नीतीश के इस निर्णय का विरोध करते रहे। गुरुवार को पार्टी के राज्यसभा सांसद अली अनवर ने कहा कि बीजेपी के साथ जाने की उनकी अंतरात्मा गवाही नहीं दे रही। गुरुवार को शरद यादव कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिले इसके बाद शाम को ही जेडीयू के नाराज नेता दिल्ली में शरद यादव के घर आकर मिले।
बाद में अली अनवर ने कहा कि पार्टी में अभी बगावत जैसी कोई बात नहीं हैण् बीजेपी नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जेडीयू के नाराज नेता शरद यादव से फोन पर बात कर मनाने की कोशिश की। गौरतलब है कि यह कहा जा रहा है कि भाजपा जेडीयू गठबंधन में सीएम नीतीश कुमार रहेंगे जबकि उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी होंगे। 243 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा जेडीयू 132 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं। नीतीश सरकार को बहुमत के लिए 122 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। नीतीश के पास 71, बीजेपी और सहयोगियों के पास 58 सीटें हैं। इन सभी को मिलाकार 129 सदस्य हो जाते हैं शेष सदस्यों के तौर पर 4 निर्दलीय विधायक भाजपा जेडीयू को समर्थन देने की बात कर रहे हैं।
ऐसे में इस गठबंधन के पास 132 सदस्य हैं वहीं सबसे बड़े दल आरजेडी के खाते में 80,कांग्रेस के पास 27 और सीपीएम के पास 3 विधायक हैं। कहा जा रहा है कि पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफा न देने से महागठबंधन टूट गया है और ऐसे में लालू प्रसाद यादव से कुछ आरजेडी नेता भी असंतुष्ट नज़र आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि पुत्र मोह के चलते लालू प्रसाद यादव ने पार्टी का नुकसान कर लिया है।
हालांकि शक्ति परीक्षण के बीच नीतीश कुमार की नई कैबिनेट के संभावित मंत्रियों की चर्चा होने लगी है इस मंत्रिमंडल में कुछ नेताओं के शामिल होने की संभावना है। जिसमें जेडीयू कोटे से विजेंदर प्रसाद यादव,ललन सिंह,लेसी सिंह,श्रवण कुमार,जय कुमार सिंह,खुर्शीद अहमद बीजेपी कोटे से,नंदकिशोर यादव,डॉ.प्रेम कुमार,मंगल पांडेय,रजनीश कुमार,ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू,रामप्रीत पासवान और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के नाम शामिल हैं।
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