हाल ही में फ़्रांस ने गूगल पर 407 करोड़ रु का भारी भरकम जुर्माना ठोंका है, जबकि अब रशिया ने फेसबुक और ट्विटर के खिलाफ एक सिविल केस किया है. रशिया ने आरोप लगते हुए कहा है कि दोनों कम्पनियां एक महीने की समय अवधि में यह बताने में असमर्थ हो गई हैं कि वे देश के बार्डर के अंदर अपना डाटा सेव क्यों नहीं कर पा रही हैं. इस पर रशिया का कहना है कि इस तरह से देश के डाटा कानूनों का उल्लंघन हुआ है और इन पर सिविल केस किया गया है.
इस संबंध में कम्युनिकेशन वॉच-डॉग Roskomnadzor ने कहा है कि दोनों सोशल मीडिया कम्पनियां यह बताने में विफल रही हैं कि रूस के बाहर के डाटा सैंटर्स में रूसी नागरिकों के डाटा को क्यों सेव किया जा रहा है तो फिर यह रशिया में क्यों नहीं किया जा रहा है या क्यों नहीं हो रहा है. जबकि Interfax न्यूज़ एजैंसी के हैड एलेक्जैंडर जहरोफ ने इसे लेकर कहा है कि कम्पनियों को एक महीना दिया गया था कि वे इस मुद्दे पर अपने विचार प्रकट करें लेकिन इस दौरान ऐसा कुछ भी नहीं किया गया. इसलिए अब सिविल केस ठोंका गया.
रूस के सख्त कानून
बता दें कि रूस में काफी सख्त कानून है. ऑनलाइ न्यूज़ वैबसाइट इंडिपैंडैंट की रिपोर्ट की माने तो रूस ने पिछले पांच वर्षों में सख्त इंटरनैट कानून पेश किए हैं और इनमें सर्च इंजन्स को कुछ सर्च रिजल्ट्स को दिखाना बंद करने से लेकर रशियन नागरिकों का डाटा उनके देश में ही सेव करने तक आदि कुछ सम्मिलित है.
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