अगर आप एक ही फॉन्ट में पढ़ने के आदी हो गए हैं तो यह आदत आपकी याददाश्त पर असर डाल सकती है. शोध कहता है कि साधारण फॉन्ट के बजाए स्टाइलिश फॉन्ट में लिखी गई बातें जल्दी याद होती हैं और अधिक समय तक स्मृति में रहती हैं. यदि पढ़ाई के दौरान आप भी ऎसी ही समस्या से दो-चार हो रहे हैं तो फॉन्ट बदलकर पढ़ने से बेहतर और जल्दी याद किया जा सकता है.
1-वैज्ञानिक मानते हैं कि फॉन्ट की स्टाइल भी हमारी स्मृति को प्रभावित करती है. यूं कहें कि कोई बात नॉर्मल आकार के फॉन्ट में याद नहीं हो पा रही है तो फॉन्ट बदल कर देखें. फॉन्ट से कम परिचय होने से आप सामग्री को ज्यादा गंभीरता और ध्यान से पढ़ेंगे तो स्वाभाविक है कि तथ्य ज्यादा याद होगा.
2-दरअसल यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य की तरह है कि हम पढ़ाई के दौरान या रोजमर्रा के काम के दौरान जिन साधारण फॉन्ट का उपयोग करते हैं वह हमें उतने आकर्षित नहीं कर पाते, इसलिए वह हमारी स्मृति में ज्यादा देर तक नहीं रहते और जल्दी याद भी नहीं होते. यदि हम किसी भी विषय को साधारण फॉन्ट की बजाए आकर्षक स्टाइल में बदलकर पढ़ेंगे तो वह जल्दी याद होगा.
3-मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि विषयों के आधार पर फॉन्ट भी अलग-अलग होने चाहिए, क्योंकि यह सीखने की क्षमता के लिए काफी मायने रखते हैं. अभी सभी विषयों जैसे विज्ञान, इतिहास, हिन्दी आदि की भाषा के फॉन्ट में एकरूपता है,जो व्यक्ति को बोझिल एवं उबाऊ सी लगती है.
4-यह मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि प्राय: छोटे बच्चे कलरफुल व आकर्षक दिखने वाले फॉन्ट से जल्दी सीखते हैं और यह उन्हें साधारण फॉन्ट की बजाए जल्दी समझ में आ जाते हैं. फॉन्ट की स्टाइल को उम्र के हिसाब से भी बदलना फायदेमंद होता है. छोटी क्लास के बच्चों की पुस्तकों की भाषा के फॉन्ट आकर्षक व रंगीन रखे जाना चाहिए.