नई दिल्ली: भारत ने बीते दिनों तत्काल प्रभाव से टूटे चावल के निर्यात (Broken Rice Export) पर बैन लगा दिया था. अब बताया जा रहा है कि भारत के इस फैसले से चीन में खाद्य संकट पैदा हो सकता है. बता दें कि, बीजिंग टूटे चावल का शीर्ष खरीदार माना जाता है. इस कारण चीन में खाद्यान्न की सप्लाई टाइट होती नज़र आ रही है. चीन में टूटे चावल का उपयोग मुख्य रूप से नूडल्स, शराब और पशुओं के लिए बनाए जाने वाले चारे में होता है. भारत अफ्रीका के कुछ देशों को भी ब्रोकन राइस का निर्यात करता है. मगर पड़ोसी चीन इसका सबसे बड़ा खरीदार है.
इसके साथ ही भारत सरकार ने गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी (Export Duty) लगाने का ऐलान किया है. साथ ही घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए टूटे चावल के एक्सपोर्ट को प्रतिबंधित कर दिया गया है. भारत के कुल चावल निर्यात में तक़रीबन 60 फीसदी हिस्सेदारी टूटे चावल की है. भारत विश्व का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है. वैश्विक चावल व्यापार में इसकी 40 फीसदी हिस्सेदारी है. भारत 150 से ज्यादा देशों को चावल का एक्सपोर्ट करता है.
बता दें कि, भारत कुछ अफ्रीकी देशों के लिए टूटे चावल का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है. मगर, चीन कृषि सूचना नेटवर्क के प्रकाशित एक आर्टिकल के मुताबिक, चीन भारतीय टूटे चावल का सबसे बड़ा खरीदार है. चीन ने 2021 में भारत से 1.1 मिलियन टन (11 लाख टन) टूटे हुए चावल का इम्पोर्ट किया था. 2021 में भारत का कुल 21.5 मिलियन टन चावल का एक्सपोर्ट किया था. निर्यात का ये आंकड़ा विश्व के शीर्ष चार निर्यातकों थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और संयुक्त राज्य अमेरिका के कुल निर्यात से ज्यादा है.
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