नई दिल्ली: देशभर में सभी धर्म-जाति के लोगों के लिए एक बराबर कानून लागू करने के लिए समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code -UCC) का मुद्दा फिर सुर्ख़ियों में आ गया है। विधि आयोग (Law Commission) ने इसपर जनता से राय मांगी हैं, वहीं मुस्लिम समुदाय और कुछ राजनेताओं द्वारा इसका विरोध भी शुरू हो गया है। मुस्लिमों के बड़े संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने इस मुद्दे पर राय देते हुए इसे सीधे धर्म से जोड़ दिया। उन्होंने कहा है कि कुछ संप्रदायिक ताकतें ये समझती हैं कि मुस्लिमों के हौसले को तोड़ दें और उन्हे ऐसी जगह पर लाकर खड़ा कर दिया जाए कि वो अपने मजहब पर ना चल सकें।
रिपोर्ट के अनुसार, मौलाना मदनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पिछले 1300 वर्षों (इस्लाम की स्थापना- 700 AD) से देश में किसी भी सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को नहीं छेड़ा है। ये बदकिस्मती की बात है कि वर्तमान सरकार (मोदी सरकार) बीते 8-9 साल से मुस्लिम दुश्मनी की बद्तरीन मिसाल पेश कर रही है और ये सबकुछ संविधान के नाम पर किया जा रहा है। मदनी ने यह भी कहा कि हम भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ में जीते आए हैं और इसी पर जीना चाहते हैं, इसी पर मरना चाहते हैं।
मौलाना अरशद मदनी ने आगे कहा कि उत्तराखंड में UCC पर लोगों से राय मांगी गई थी। हमने डेढ़ लाख से अधिक खत और कागज़ भेजे। हम पूरे देश के लोगों से अनुरोध करेंगे कि वो देशभर से राय भेजें। ये राय या खत 50 लाख से अधिक होंगे। मदनी ने कहा कि हमने उत्तराखंड के उत्तरकाशी मामले में मुखयमंत्री से अपील की है कि शांति व्यवस्था बनाना सरकार की जिम्मेदारी है। बता दें कि, दुनिया के कई देशों में UCC लागू है, यानी उन देशों के प्रत्येक नागरिक पर एक ही कानून लागू होता है, लेकिन भारत के सिर्फ एक राज्य गोवा में यह कानून लागू है। वहीं, दुनियाभर में मौजूद कई इस्लामी देशों में शरिया कानून लागू है, जहाँ हर व्यक्ति पर, चाहे वो किसी भी धर्म का हो, उसे शरिया कानून का ही पालन करना होता है।
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