लखनऊ: सोनभद्र में वन विभाग अपनी करीब 2 लाख हेक्टेयर जमीन पर कब्जा लेगा. जमीन लेने की यह प्रक्रिया ग्रामवार पूरी की जाएगी. कुल 433 गांवों में यह प्रक्रिया पूरी होनी है. इसके लिए रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही राजस्व व वन विभाग की टीम मौके का संयुक्त सर्वे प्रारंभ करेगी.
जुलाई में सोनभद्र में जमीन विवाद में 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस वारदात को गंभीरता से लेते हुए योगी सरकार ने विवादों को जड़ से समाप्त करने के लिए जरूरी कदम उठाने के आदेश जारी किया है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बात का पता चला है कि जांच करने पर सामने आया कि 90 के दशक में सोनभद्र के ओबरा डिवीजन में 146104.483 हेक्टेयर और रेनुकूट डिवीजन में 102338.37 लाख हेक्टेयर जमीन भारतीय वन अधिनियम की धारा-4 के तहत नोटिफाई की गई थी. सुनवाई के बाद इस जमीन को अधिनियम की धारा-20 के तहत अंतिम तौर पर वन भूमि के तौर पर दर्ज किया जाना था, लेकिन आज तक महज 45517.152 हेक्टेयर जमीन पर ही धारा-20 की कार्रवाई हुई. यानी, अभी तक 202925.701 हेक्टेयर भूमि पर धारा-20 के तहत कब्जा लेने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. जंहा यह जमीन कुल 433 ग्राम पंचायत क्षेत्रों में स्थित है.
यदि हम सूत्रों की माने तो जब तक वन विभाग अपनी इस जमीन पर कब्जा नहीं लेगा, तब तक तमाम लोग इस पर अपना दावा करते रहेंगे. कभी भी यह दावे उनके बीच झगड़ा-फसाद की वजह बन सकते हैं. इसलिए शासन ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि धारा-20 की कार्यवाही के लिए राजस्व विभाग के स्थानीय अधिकारियों के साथ मौका मुआयना किया जाए. एक साथ सभी गांवों में यह कार्यवाही शुरू होने पर कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है, इसलिए तय हुआ है कि हर तहसील के एक ग्राम पंचायत को इकाई मानते हुए कब्जे की कार्यवाही प्रारंभ की जाएगी.
क्या है धारा-4 और धारा-20: आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय वन अधिनियम की धारा-4 के तहत सरकार किसी भूमि को वन क्षेत्र में शामिल किए जाने का इरादा जाहिर करती है. वहीं, अधिनियम की धारा-20 के तहत वो भूमि अंतिम तौर पर वन क्षेत्र घोषित कर दी जाती है.
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