कोलकाता: पश्चिम बंगाल पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने मुर्शिदाबाद जिले में दो आतंकियों को गिरफ्तार किया है। इनकी शिनाख्त सजिबुल इस्लाम (24) और मुस्ताकिम मोंडल (26) के रूप में हुई है। इन दोनों का संबंध अल-कायदा से जुड़े आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ATB) से बताया जा रहा है। यह गिरफ्तारी उस वक्त हुई, जब जिले में पहले ही दो और संदिग्ध, मिनारूल शेख और मोहम्मद अब्बास, को पकड़ा जा चुका है। इन दोनों पर मुस्लिम बच्चों में मजहबी जहर भर उन्हें कट्टरपंथी बनाने और आत्मघाती हमलावर तैयार करने के आरोप हैं।
पुलिस की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि मिनारूल और अब्बास ने 12 से 16 साल के मासूम बच्चों को अपना निशाना बनाया। ये बच्चे स्थानीय मदरसों में पढ़ते थे और उन्हें मजहबी कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा था। बच्चों को आत्मघाती हमलों के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था। बताया जा रहा है कि मुर्शिदाबाद, नदिया, उत्तर दिनाजपुर और अलीपुरद्वार जिलों में लगभग 30 आत्मघाती हमलावर तैयार करने की साजिश रची गई थी। पुलिस ने जानकारी दी है कि इन मदरसों में एलईडी स्क्रीन पर बच्चों को कट्टरपंथी वीडियो दिखाए जाते थे। इन गतिविधियों का संचालन एटीबी के बंगाल शाखा के नेता आमिर और जसीमुद्दीन द्वारा किया जा रहा था। बच्चों के कोमल मन में इतना जहर भरा जा रहा था कि उन्हें अपनी जान देकर दूसरों की हत्या करना सही लगने लगा।
यह मामला केवल कानून व्यवस्था का नहीं है, बल्कि एक गंभीर सामाजिक सवाल खड़ा करता है। छोटे-छोटे मासूम बच्चों को मजहब के नाम पर कट्टरपंथी बनाकर आत्मघाती हमलावर बनाया जा रहा है। आखिर क्यों? जब ऐसे मदरसों की जांच की मांग उठती है, तो इसे एक समुदाय पर हमला क्यों बताया जाता है? अगर मदरसों में वाकई देश-विरोधी गतिविधियां हो रही हैं, तो उनकी जांच क्यों न हो?
इससे भी बड़ा सवाल यह है कि इन मासूमों के दिमाग में ऐसा क्या पढ़ाया जाता है, जिससे वे अपनी जान देने को तैयार हो जाते हैं? कौन सा साहित्य और विचारधारा उन्हें सिखाई जाती है कि वे दूसरों की हत्या करना ‘जन्नत’ जाने का रास्ता मानने लगते हैं? क्या यह सही नहीं होगा कि इन मदरसों में पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम की जांच हो? आखिर कौन लोग इन मासूमों को आतंक की अंधी गली में धकेल रहे हैं?
इस मामले को लेकर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच सियासी बहस छिड़ गई है। टीएमसी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह सीमा सुरक्षा सुनिश्चित करने में नाकाम रही है। वहीं, बीजेपी ने राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि बंगाल आतंकियों के लिए "स्वर्ग" बन गया है। लेकिन असली मुद्दा यह है कि यह बहस मासूम बच्चों को कट्टरपंथी बनाने की गंभीर समस्या को पीछे छोड़ देती है। देश को अब यह तय करना होगा कि क्या वह इन मासूमों को बचाने के लिए ठोस कदम उठाएगा, या इसे भी राजनीति की भेंट चढ़ने देगा।