भारत के पूर्व सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने राज्यसभा सदस्य के तौर पर शपथ ले लिया है.राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया है. गोगोई देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश थे. वे इस पद पर तीन अक्टूबर, 2018 से 17 नवंबर, 2019 तक रहे.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वर्षो से लंबित अयोध्या विवाद में नौ नवंबर, 2019 को गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसला सुनाया था. इसके अलावा उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने कई और मामलों में फैसले सुनाए थे. इसमें राफेल लड़ाकू विमान सौदा और सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मामले शामिल हैं.
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इसके अलावा गोगोई ने प्रधान न्यायाधीश का पद छोड़ने से पहले कहा था कि भारतीय अदालतों में लंबित मामलों का इस्तेमाल इस संस्थान को कमजोर करने के लिए किया गया है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन को लिखे एक पत्र में उन्होंने कहा था कि उनके दिलोदिमाग का एक हिस्सा हमेशा सुप्रीम कोर्ट के साथ रहेगा. वही, कांग्रेस ने गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनित करने को लेकर सरकार की आलोचना की है. राष्ट्रपति द्वारा उन्हें सीजेआई के पद से रिटायर होने के लगभग चार महीने बाद सोमवार को उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया. वहीं बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनित करने के फैसले को सही ठहराया है. बार काउंसिल ने कहा है कि इससे 'विधायिका और न्यायपालिका के बीच समन्वय बनाने में मदद मिलेगी.
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