मुस्लिम नेताओं से मिले पूर्व सीएम जगन रेड्डी, बोले- संसद में वक़्फ़ बिल का कड़ा विरोध करेंगे

मुस्लिम नेताओं से मिले पूर्व सीएम जगन रेड्डी, बोले- संसद में वक़्फ़ बिल का कड़ा विरोध करेंगे
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गुंटूर: YSR कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने वक्फ विधेयक का विरोध करने का वादा किया है। हालाँकि, मुस्लिम तुष्टिकरण को बढ़ावा देने वाले उनके इस कदम की आलोचना भी हुई है। दरअसल, इस विधेयक का उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है, लेकिन जगन ने इसका विरोध किया है, जबकि वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए इसकी आवश्यकता पर चिंता जताई गई है।

गुरुवार को मुस्लिम अल्पसंख्यक नेताओं के साथ बैठक में वाईएस जगन ने मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और उनके मुद्दों को संबोधित करने में YSRCP के ट्रैक रिकॉर्ड को गिनाया। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी के सांसद, संसद में विधेयक का कड़ा विरोध करेंगे, जिसमें सांसद विजयसाई रेड्डी संयुक्त संसदीय समिति में इस मामले का नेतृत्व करेंगे। आलोचकों का तर्क है कि जगन का रुख वक्फ संपत्तियों की अखंडता के लिए वास्तविक चिंता के बजाय राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित है। रिपोर्टों से पता चलता है कि वक्फ की 70% से अधिक भूमि पर पहले से ही अतिक्रमण हो चुका है, इसलिए नए विधेयक से इन उल्लंघनों पर अंकुश लगने की उम्मीद थी। हालांकि, जगन के विरोध ने लोगों को चौंका दिया है, आलोचकों ने उन पर वक्फ प्रणाली में बहुत जरूरी सुधारों की तुलना में वोट बैंक की राजनीति को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया है।

वाईएसआरसीपी के संसदीय दल के नेता और राज्यसभा सांसद विजयसाई रेड्डी ने एक्स पर एक ट्वीट में इस रुख को दोहराया, जिसमें कहा गया, "हमारे पार्टी अध्यक्ष श्री वाईएस जगन गारू के निर्णय और पार्टी के आधिकारिक रुख के अनुरूप, वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक का मैंने आज संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में तर्क के साथ विरोध किया। इस विधेयक में विभिन्न हितधारकों की कई चिंताएँ हैं और यह अपने मौजूदा स्वरूप में स्वीकार्य नहीं है। जेपीसी के सदस्य के रूप में, मैं सभी हितधारकों की बात सुनना चाहूँगा और समिति में आपकी आवाज़ बनना चाहूँगा।"

8 अगस्त को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पेश किया। सरकार ने दावा किया कि माफिया तत्वों ने वक्फ बोर्ड पर कब्जा कर लिया है और यह विधेयक किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं करेगा। विधेयक में राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और सर्वेक्षण तथा अतिक्रमणों को हटाने से संबंधित मुद्दों को “प्रभावी ढंग से संबोधित” करने का प्रयास किया गया है। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को पेश करने के अलावा, किरेन रिजिजू ने मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 भी पेश किया, जिसका उद्देश्य मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 को निरस्त करना है।

क्या है वक्फ एक्ट और इसके पास कितने अधिकार :-

वक्फ अधिनियम को पहली बार नेहरू सरकार द्वारा 1954 में संसद द्वारा पारित किया गया था। इसके बाद, इसे निरस्त कर दिया गया और 1995 में एक नया वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसमें वक्फ बोर्डों को और अधिक अधिकार दिए गए। 2013 में, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इसे असीमित अधिकार दे दिए। जिसके बाद ये प्रावधान हो गया कि अगर वक्फ किसी संपत्ति पर दावा ठोंक दे, तो पीड़ित अदालत भी नहीं जा सकता, ना ही राज्य और केंद्र सरकारें उसमे दखल दे सकती हैं। पीड़ित को उसी वक्फ के ट्रिब्यूनल में जाना होगा, जिसने उसकी जमीन हड़पी है, फिर चाहे उसे जमीन वापस मिले या ना मिले। 

यही कारण है कि बीते कुछ सालों में वक्फ की संपत्ति दोगुनी हो गई है, जिसके शिकार अधिकतर दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज के लोग ही होते हैं। वक्फ कई जगहों पर दावा ठोंककर उसे अपनी संपत्ति बना ले रहा है और आज देश का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक है। रेलवे और सेना के बाद सबसे अधिक जमीन वक्फ के पास है, 9 लाख एकड़ से अधिक जमीन।  लेकिन गौर करने वाली बात तो ये है कि, रेलवे और सेना की जमीन के मामले अदालतों में जा सकते हैं, सरकार दखल दे सकती है, लेकिन वक्फ अपने आप में सर्वेसर्वा है। उसमे किसी का दखल नहीं और ना ही उससे जमीन वापस ली जा सकती है। मोदी सरकार इसी असीमित ताकत पर अंकुश लगाने के लिए बिल लाइ है, ताकि पीड़ित कम से काम कोर्ट तो जा सके और वक्फ इस तरह हर किसी की संपत्ति पर अपना दावा न ठोक सके। इस बिल को विपक्ष, मुस्लिमों पर हमला बताकर विरोध कर रहा है। सरकार ने विपक्ष की मांग को मानते हुए इसे JPC के पास भेजा है, जहाँ लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सांसद मिलकर बिल पर चर्चा करेंगे और इसके नफा-नुकसान का पता लगाएंगे। 

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