कोच्ची: 2019 में केरल के कासरगोड जिले के पेरिया शहर में हुई यूथ कांग्रेस के दो कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने शनिवार को फैसला सुनाया। अदालत ने इस हत्याकांड में 14 लोगों को दोषी ठहराया है, जिसमें सीपीएम के पूर्व विधायक केवी कुनिरामन का नाम भी शामिल है। यह मामला 19 साल के कृपेश और 23 साल के सारथ लाल की हत्या से जुड़ा है, जिन्हें धारदार हथियारों से जान से मारा गया था।
अदालत ने 24 आरोपियों में से 10 को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया, जबकि 14 दोषियों को विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया। दोषियों में प्रमुख नामों में कुनिरामन, कन्हांगद ब्लॉक पंचायत अध्यक्ष के मणिकंदन, पूर्व पेरिया समिति सदस्य ए पीथंबरण और पूर्व पक्कम सचिव रघवन वेलुथोली शामिल हैं। इसके अलावा, अन्य दोषियों में साजी सी जॉर्ज, सुरेश केएम, अनिल कुमार के (उर्फ अबू), गिजिन, श्रीराग आर (उर्फ कुट्टू), अश्विन ए (उर्फ अप्पू), सुबीश (उर्फ मणि), रंजनथ टी (उर्फ अप्पू), ए सुरेंद्रन (उर्फ विष्णु सुरा) और केवी भास्करन के नाम सामने आए हैं। अदालत 3 जनवरी को दोषियों की सजा का ऐलान करेगी। यह घटना 17 फरवरी 2019 की है, जब कृपेश और सारथ लाल पर घर लौटते वक्त एक समूह ने घात लगाकर हमला किया था। इस हमले में धारदार हथियारों का इस्तेमाल किया गया, और इसे राजनीतिक प्रतिशोध के तहत अंजाम दिया गया।
कांग्रेस और भाजपा ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए 10 आरोपियों के बरी होने के खिलाफ अपील करने की मांग की है। सारथ लाल के पिता सत्यनारायणन ने इस फैसले पर मिश्रित भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि दोषियों को सजा मिलना राहत की बात है, लेकिन उनके बेटों की हत्या में शामिल लोगों का पूरी तरह सजा से बच निकलना न्यायपूर्ण नहीं है। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ अपील करने की बात भी कही। कृपेश के पिता कृष्णन पीवी ने इसे सीपीएम की हिंसक राजनीति का नतीजा बताते हुए पार्टी की नैतिक हार कहा।
इस मामले में अदालत ने कुनिरामन और कुछ अन्य को आईपीसी की धारा 225 के तहत दोषी ठहराया, जबकि हत्या में सीधे शामिल 8 अन्य आरोपियों को धारा 302, 201, 148, 341 और 120(b) के तहत दोषी पाया गया। केरल कांग्रेस के नेता वीडी सतीशन ने इस मामले में सीपीएम की भूमिका की आलोचना की और आरोप लगाया कि सरकार ने सीबीआई की जांच रोकने के लिए 1 करोड़ रुपये खर्च किए। उन्होंने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से माफी मांगने की मांग की। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेन्द्रन ने सीबीआई को इस मामले में निष्पक्ष जांच और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने का श्रेय दिया।
यह घटना केरल में राजनीतिक हिंसा का एक और उदाहरण है, जहां सत्ताधारी पार्टी पर अपने कार्यकर्ताओं को बचाने के आरोप लगते रहे हैं। हालांकि, इस फैसले ने यह संदेश दिया है कि न्याय की प्रक्रिया में कोई भी दोषी बच नहीं सकता।