छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में पूर्व आबकारी मंत्री और कांग्रेस विधायक कवासी लखमा गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में पूर्व आबकारी मंत्री और कांग्रेस विधायक कवासी लखमा गिरफ्तार
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रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कवासी लखमा को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार, 15 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई राज्य में 2,100 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले की जांच के तहत की गई। कांग्रेस पार्टी के मौजूदा विधायक लखमा को रायपुर में ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, जहां छह घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया।  

लखमा को बाद में विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें सात दिनों की ईडी हिरासत में भेज दिया गया। इस दौरान उनके बेटे हरीश लखमा को भी कथित तौर पर हिरासत में लिया गया। अपनी गिरफ्तारी के बाद कवासी लखमा ने खुद को निर्दोष बताते हुए दावा किया कि उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ईडी की छापेमारी के दौरान उनके घर से कोई नकदी बरामद नहीं हुई और उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं।  

ईडी का आरोप है कि 2019 से 2022 के बीच लखमा ने अपने कार्यकाल में शराब घोटाले से होने वाली अवैध आय में प्रमुख भूमिका निभाई। ईडी ने दावा किया है कि इस घोटाले से उत्पन्न 2,161 करोड़ रुपये की नकदी लखमा को मासिक आधार पर प्राप्त हुई थी। जांच एजेंसी के अनुसार, राज्य के छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (CSMCL) ने शराब की खरीद-बिक्री के दौरान डिस्टिलर्स से अवैध कमीशन लिया। इसके अलावा, बिना हिसाब-किताब के कच्ची शराब बेचना और सरकारी दुकानों के माध्यम से अवैध शराब बेचना इस घोटाले का हिस्सा था।  

ईडी ने दावा किया है कि इस घोटाले से हुई अवैध कमाई का कोई भी हिस्सा सरकारी खजाने में नहीं पहुंचा। शराब बनाने वालों से रिश्वत लेकर उन्हें बाजार में एकाधिकार स्थापित करने की छूट दी गई। विदेशी शराब के कारोबार में भी अवैध लाभ कमाने के लिए यह सिंडिकेट सक्रिय था। कवासी लखमा की गिरफ्तारी पर कांग्रेस ने इसे "बदले की राजनीति" करार दिया। पार्टी के नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार ईडी का इस्तेमाल करके कांग्रेस नेताओं को निशाना बना रही है।  

राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कांग्रेस के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यह मामला ईडी ने दर्ज किया था और उनके पास पर्याप्त सबूत हैं। उन्होंने कहा, "ईडी ने जांच के दौरान जो साक्ष्य जुटाए हैं, उनके आधार पर यह कार्रवाई की गई है। दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।"  
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, "मामले की पूरी जांच चल रही है, और अगर कोई दोषी पाया जाता है, तो कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।"  

ईडी ने हाल ही में रायपुर, धमतरी और सुकमा जिलों में सात परिसरों पर तलाशी ली थी। इस दौरान कई डिजिटल उपकरण और आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए। ईडी का कहना है कि वह इन साक्ष्यों के जरिए घोटाले की प्रासंगिक अवधि के दौरान लखमा द्वारा नकदी का इस्तेमाल करने की पुष्टि कर रही है। इससे पहले, 28 दिसंबर को ईडी ने लखमा और उनके करीबी सहयोगियों के आवासीय परिसरों पर छापेमारी की थी। इस दौरान एजेंसी ने घोटाले से संबंधित दस्तावेज और संपत्तियों की जानकारी जुटाई।  

ईडी ने यह भी खुलासा किया कि अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा समेत कई लोगों का एक सिंडिकेट राज्य में सक्रिय था, जो अवैध शराब और अवैध कमीशन के जरिए घोटाले को अंजाम दे रहा था। इस मामले में अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और 205 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है।  

कवासी लखमा की गिरफ्तारी ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल मचा दी है। जहां कांग्रेस इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रही है, वहीं बीजेपी ने इसे एक बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला बताते हुए कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। ईडी की इस कार्रवाई से राज्य में कांग्रेस के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं, खासकर तब जब पार्टी इसे राजनीतिक साजिश बता रही है। मामले की जांच और अदालत की कार्रवाई आगे क्या मोड़ लेगी, यह देखना बाकी है।

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