धर्मशाला: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुजान सिंह पठानिया ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। उनका निधन बीते गुरुवार देर रात को हुआ है। सुजान सिंह की उम्र 78 साल थी और वह वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक थे। केवल यही नहीं बल्कि उनकी कांगड़ा में भी अच्छी पकड़ मानी जाती थी। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके है और खबरों के मुताबिक वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। अब आज उनके निधन पर कांग्रेस की राज्य इकाई में शोक की लहर दिखाई दे रही है। खुद हिमाचल के मुख्यमंत्री सीएम जयराम ठाकुर ने विधायक सुजान सिंह पठानिया के निधन पर शोक जताया है।
हिमाचल कॉंग्रेस के वरिष्ठ नेता विधायक एवं पूर्व मन्त्री श्री सुजान सिंह पठानिया जी को हिमाचल कॉंग्रेस परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि भगवान दिवंगत आत्मा को शॉंति प्रदान करे और शोकाकुल परिवार को यह असहनीय दुख सहने की शक्ति दे॥ ओम शॉंति॥ pic.twitter.com/EF47AlJ8QT
— Himachal Congress (@INCHimachal) February 12, 2021
उन्होंने ट्वीट कर लिखा है- 'फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं पूर्व मंत्री श्री सुजान सिंह पठानिया जी के निधन का दुःखद समाचार मिला। सरल स्वभाव के पठानिया जी ने सदैव समर्पणभाव से जनसेवा की है,जो प्रेरणादायक है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा शोकग्रस्त परिवार को संबल प्रदान करें।'
फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं पूर्व मंत्री श्री सुजान सिंह पठानिया जी के निधन का दुःखद समाचार मिला
सरल स्वभाव के पठानिया जी ने सदैव समर्पणभाव से जनसेवा की है,जो प्रेरणादायक है।
ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा शोकग्रस्त परिवार को संबल प्रदान करें। pic.twitter.com/Gwh0pJCZTr
— Jairam Thakur (@jairamthakurbjp) February 12, 2021
इसी के साथ हिमाचल कांग्रेस ने सुजान सिंह के निधन पर दुःख जताते हुए ट्वीट कर लिखा है, "हिमाचल कॉंग्रेस के वरिष्ठ नेता विधायक एवं पूर्व मंत्री सुजान सिंह पठानिया जी को हिमाचल कॉंग्रेस परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि भगवान दिवंगत आत्मा को शॉंति प्रदान करे और शोकाकुल परिवार को यह असहनीय दुख सहने की शक्ति दे॥ ओम शॉंति॥" सुजान सिंह का जन्म 22 सितंबर 1943 को पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था। जी दरअसल सुजान सिंह पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के करीबी थे। उन्हें प्रदेश में वीरभद्र की अगुवाई वाली सरकार में दो बार मंत्री पद दिया गया था। केवल यही नहीं बल्कि जनता ने उन्हें सात बार चुनकर हिमाचल प्रदेश विधानसभा भेजा था।
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