श्रीनगर: हुर्रियत के पूर्व सदस्य सैयद सलीम गिलानी ने महबूबा मुफ़्ती की पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) में शामिल होने के बाद कश्मीर मुद्दे पर पार्टी के रुख की तारीफ़ की। गिलानी ने लोकतांत्रिक और मानवाधिकारों के प्रति पीडीपी की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पार्टी के दृष्टिकोण में लोगों की सुरक्षा के लिए बातचीत की मेज पर कश्मीर मुद्दे पर चर्चा करना शामिल है।
गिलानी ने कहा, "हमें लगा कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी लोकतांत्रिक अधिकारों, राजनीतिक अधिकारों और मानवाधिकारों की बात करती है। यह हमारे बच्चों की वकालत करती है और बातचीत के ज़रिए कश्मीर मुद्दे का हल निकालने पर ज़ोर देती है। यह हमारी नीति है- लोगों की बुनियादी सुरक्षा का समर्थन करने वाली एक आवाज़।" रविवार को पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती की मौजूदगी में श्रीनगर स्थित पीडीपी मुख्यालय में कई नेता और कार्यकर्ता पार्टी में शामिल हुए। मुफ़्ती ने हुर्रियत नेताओं के साथ सुलह और बातचीत के पार्टी के एजेंडे पर ज़ोर दिया। अपने संबोधन में मुफ्ती ने कहा, "पीडीपी का एजेंडा सुलह और बातचीत है। हुर्रियत चीन या पाकिस्तान से नहीं है। अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे, तब लालकृष्ण आडवाणी ने उनसे बात की थी। वे अछूत नहीं हैं। हमारा लक्ष्य बातचीत और सुलह के जरिए कश्मीर मुद्दे को सुलझाना है। अगर हुर्रियत इस प्रक्रिया में भाग लेना चाहता है, तो इसकी सराहना की जाएगी।"
मुफ्ती ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला की भी आलोचना की और आरोप लगाया कि पार्टी सत्ता में होने पर चुनावों को "हलाल" और सत्ता से बाहर होने पर "हराम" मानती है। उन्होंने इस असंगति को नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा शुरू की गई राजनीतिक सुविधा का परिणाम बताया। जम्मू-कश्मीर में 18, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को तीन चरणों में मतदान होना है, जबकि मतगणना 8 अक्टूबर को होगी। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव होगा।
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