नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन 26 सितंबर को एक विवाद में फंस गए जब उन्होंने 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत भारत के विनिर्माण क्षेत्र में बढ़ते निवेश के बारे में अपनी राय बदली। राजन ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि सरकार का इरादा अच्छा है और उसने बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, लेकिन स्थानीय विनिर्माण और रोजगार सृजन के लिए अभी और प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
रघुराम राजन ने राहुल गांधी से कहा की भारत अगले साल 5% GDP भी हासिल कर ले तो बड़ी बात होगी.. और भारत ने 7.6% की वृद्धि दर्ज कर ली।
— Ajay Sehrawat (@IamAjaySehrawat) November 30, 2023
इन लोगो के पास भारत विरोधी एजेंडो के अलावा कुछ नही। pic.twitter.com/7HsigJxsQ9
हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि केंद्र सरकार ने पहले ही स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना भी शामिल है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस योजना के तहत नवंबर 2023 तक 1.03 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है, जिससे 8.61 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन/बिक्री बढ़ी है और 6.78 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। राजन ने प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में वृद्धि की बात करते हुए यह भी कहा कि भारत 2047 तक एक 'विकसित राष्ट्र' नहीं बन पाएगा। उन्होंने पहले भी भारत की आर्थिक वृद्धि के बारे में नकारात्मक भविष्यवाणियाँ की हैं, उन्होंने कहा था कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत अगर 5% GDP ग्रोथ भी हासिल कर ले तो भी बहुत होगा, जबकि वास्तव में भारत ने उस वर्ष 7.6% की वृद्धि दर्ज की थी। इससे पहले विपक्षी नेताओं के पास से निकल रही करोड़ों की नकदी पर रघुराम राजन ने कहा था कि विपक्ष के पास काले धन से चुनाव लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, ED-CBI को वो काला पैसा नहीं पकड़ना चाहिए, उस समय भी राजन की काफी आलोचना हुई थी।
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन कह रहे हैं कि सरकार को तो उद्योगपतियों से चंदा मिल जाता है,विपक्ष के पास नक़द काले पैसे से चुनाव लड़ने के सिवा कोई विकल्प नहीं हैं।
— ANUPAM MISHRA (@scribe9104) December 12, 2023
ऐसे में चुनाव से पहले ही आयकर CBI और ED जैसी एजेंसियों के द्वारा विपक्ष का काला पैसा पकड़ा जाना… pic.twitter.com/gLxPclmtII
रोचक बात यह है कि राजन ने पहले मोदी सरकार की विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करने की आलोचना की थी। अप्रैल 2022 में, उन्होंने कहा था कि भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनने के बजाय सेवाओं के निर्यात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उनका तर्क था कि विनिर्माण आधारित विकास की राह पर चलना चीन जैसी समस्याओं का सामना करवा सकता है, जबकि सेवाओं के विकास से पर्यावरण पर कम दबाव पड़ेगा। अक्टूबर 2022 में, राजन ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने उनकी अनचाही सलाह को नजरअंदाज किया। उन्होंने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र का उदारीकरण घटते लाभ का कारण बन सकता है, क्योंकि औद्योगिक देशों में खुली सीमाओं के प्रति नाराजगी का एक कारण यह है कि इससे विनिर्माण श्रमिकों पर वैश्विक प्रतिस्पर्धा का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। अब जब भारत विनिर्माण क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, रघुराम राजन ने अपने विचारों में बदलाव करना शुरू कर दिया है।
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