क्रिकेट ने किसी को भगवान बना दिया तो किसी को फर्श पर लाकर पटक दिया. भारत में क्रिकेट को पूजा जाता है. जिसने नेशनल भी खेल लिया तो करियर सेट है. क्रिकेट में जिसका परफॉर्मेंस ठीक नहीं उसको जगह मिलना मुश्किल हो जाता है. ऐसा ही एक खिलाड़ी है जिसका एक समय सिक्का चला करता था, लेकिन अब वो सड़कों पर छोले-भटूरे बेच रहा है. वो विराट के साथ खेलकर हीरो साबित हुए थे.
साल 2008 को कौन भूल सकता है. ये वो साल था जब टीम इंडिया ने टी20 वर्ल्ड कप जीता था और युवराज सिंह ने 6 गेंद पर 6 छक्के जड़े थे. लेकिन ये साल विराट कोहली के लिए शानदार साबित हुआ था. लेकिन 2008 में अंडर-19 टीम के विकेटकीपर पैरी गोयल आज कल गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं. ये वही खिलाड़ी है जो चैम्पियन टीम का हिस्सा था.
2008 वो दौर था जब टीम इंडिया को नए-नए खिलाड़ी मिल रहे थे और कप्तान धोनी वर्ल्ड कप टीम तैयार कर रहे थे. खिलाड़ियों का फोकस टीम इंडिया में शामिल होने का था. उस वक्त पैरी गोयल का नाम भी जोरों पर था. उन्होंने अंडर-19 वर्ल्ड कप में शानदार प्रदर्शन किया. लेकिन घरेलू क्रिकेट में वो फ्लॉप साबित हुए. वो पंजाब की तरफ से खेलते थे. लेकिन वर्ल्ड कप के बाद लगातार गिरती फॉर्म ने उनको टीम से बाहर कर दिया गया और उनका करियर खत्म हो गया.
वर्ल्ड कप ने भले ही उनको हीरो बना दिया हो लेकिन उनका करियर वहीं खत्म हो गया. एक या दो मैच में अच्छा परफॉर्म करने वाले को भला कौन जानता है, वो भी अंडर-19 वर्ल्ड कप में, जो बहुत कम लोग देख पाते हैं. ऐसे में पैरी लुधियाना में फास्ट फूड बेचने का फैसला किया. वो लुधियाना नगर निगम के बाहर छोले-भटूरे, चाउमीन बेचकर गुजारा कर रहे हैं. उनकी ये कहानी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है. लेकिन उनके फेसबुक अकाउंट को देखें तो वो आरएसजी ग्रुप के डायरेक्टर हैं.
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