जम्मू: जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 तथा पुरे प्रदेश का दर्जा हटने के एक वर्ष 10 माह पश्चात् पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रदेश की 8 पार्टियों के 14 नेताओं से पीएम आवास पर बृहस्पतिवार को साढ़े तीन घंटे की मैराथन बैठक की। इस बैठक से प्रदेश में राजनीतिक स्थिति फिर सामान्य होने की उम्मीद बंधी है।
वही बैठक के पश्चात् महबूबा मुफ्ती तथा उमर अब्दुल्ला सहित कश्मीर के नेता पूर्ण प्रदेश का दर्जा लौटाने के साथ ही आर्टिकल-370 की बहाली पर अड़े नजर आए। हालांकि, घाटी में विश्वास बहाली का फॉर्मूला अब अनुच्छेद-371 बन सकता है। महबूबा मुफ्ती ने बैठक में भी पाकिस्तान से चर्चा का मसला उठाया। वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रदेश में परिसीमन की प्रक्रिया शीघ्र ही पूरी करने पर जोर दिया जिससे चुनाव का मार्ग साफ हो सके।
11 प्रदेशों में लागू है आर्टिकल-371:-
सूत्रों के अनुसार, गतिरोध के इस दोराहे में बीच का मार्ग भी खोज लिया गया है। यह फॉर्मूला आर्टिकल-370 की वापसी की जगह जम्मू-कश्मीर के कुछ भागों में आर्टिकल-371 के खास प्रावधान लागू करने का हो सकता है। आर्टिकल-371 हिमाचल, गुजरात, उत्तराखंड सहित देश के 11 प्रदेशों में लागू है। चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश के परिसीमन का काम 31 अगस्त तक पूरा हो जाएगा। तब तक आर्टिकल-371 के फॉर्मूले पर मंजूरी बनाने का प्रयास जारी है।
क्या है आर्टिकल-371:-
आर्टिकल-371 अभी देश के 11 प्रदेशों के विशिष्ट इलाकों में लागू है। इसके तहत प्रदेश के हालात के अनुसार सभी स्थान अलग-अलग प्रावधान हैं।
हिमाचल में इस कानून के तहत कोई भी गैर-हिमाचली खेती की जमीन नहीं क्रय कर सकता।
मिजोरम में कोई गैर-मिजो आदिवासी जमीन नहीं खरीद सकता, लेकिन सरकार उद्योगों के लिए जमीन का अधिग्रहण कर सकती है। स्थानीय आबादी को शिक्षा तथा नौकरियों में खास अधिकार प्राप्त होते हैं।
इस कानून के तहत मूल आबादी की प्रथाओं से विरोधाभास होने पर केंद्रीय कानूनों का प्रभाव सीमित हो सकता है।
जम्मू-कश्मीर के कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में ऐसे प्रावधान लागू किए जा सकते हैं, जिससे आर्टिकल-370 बहाली की क्षेत्रीय दलों की मांग कमजोर पड़ जाएगी।
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