मध्य प्रदेश के कई जिलों में कोरोना का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं, अब ग्वालियर-चंबल अंचल के मुरैना में आजाद नगर में दिल्ली से एक महिला और उसके दो बच्चे कोरोना संक्रमित मिले हैं. सैंपल लेने के बाद से ही तीनों अस्पताल में भर्ती कर दिए गए थे. पोरसा के पाल विजयगढ़ गांव का युवक 10 दिन पहले मुंबई से आया था. युवक गांव में ही खेत पर रह रहा था. इस दौरान सैंपलिंग की गई थी. वहीं, ग्वालियर में दो दिन बाद एक मरीज पॉजिटिव मिला है. जबकि भिंड में पहले से भर्ती चार मरीजों की दूसरी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ गई है. जबकि 15 ने कोरोना को मात दे दी है. जिले में 27 लोग स्वस्थ हो चुके हैं. जिले में अब सिर्फ शेष 29 एक्टिव केस बचे हैं.
वहीं, कोरोना पीड़ित की अंत्येष्टि की व्यवस्थाएं शनिवार को फिर लापरवाही सामने आई है. श्योपुर जिले के कोरोना पीड़ित 55 वर्षीय सत्यनारायण शर्मा का शव को उठाने के लिए चार कर्मचारियों के बजाय सिर्फ दो ही मौजूद रहे. वह भी अप्रशिक्षित थे. नगर निगम के एक कर्मचारी ने छूआ तक नहीं, इसलिए स्ट्रेचर को उठाने के लिए मृतक के भाई और एंबुलेंस चालक को हाथ लगाना पड़ा. वे विद्युत शवदाह गृह तक शव ले जाते उससे पहले ही स्ट्रेचर से हाथ छूट गया और शव जमीन पर गिर पड़ा. जिले में अब तक पांच कोरोना पीड़ितों की मौत हुई है और सभी की अंत्येष्टि लापरवाही की भेंट चढ़ी है.
बता दें की कोरोना पीड़ितों के शवों को लेकर लापरवाही सामने आ रही है. शवों की लगातार बेकद्री के बाद प्रशासन व नगर निगम ने पिछले दिनों व्यवस्थाएं बनाई थीं. इसके तहत शव को उठाने से लेकर विद्युत शवदाह गृह मशीन में रखने तक चार कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी. व्यवस्था के तहत जयारोग्य अस्पताल से ही एंबुलेंस के साथ दो कर्मचारियों को भेजने और दो कर्मचारी नगर निगम की ओर से रहेंगे. निगम प्रशासन ने इसमें लापरवाही कर दी. शव उठाने दो कर्मचारी तो तैनात किए, लेकिन समय अलग-अलग रखा. राजपाल नामक कर्मचारी को सुबह 6 से 10 तथा लक्ष्मीनारायण को 10 से दोपहर 2 बजे तक तैनात किया है.
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