फ्रांस के वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचते ही देश भर में फुटबॉल की दीवानगी चरम पर पहुंच गई और हर शहर में जश्न की शुरूआत भी हो गई, जबकि टीम के ऐतिहासिक प्रदर्शन पर फख्र करने वाले मोरक्को के समर्थकों के चेहरों पर मायूसी बनी हुई है। पेरिस में चैंम्प्स एलिसीस पर फुटबॉलप्रेमियों का हुजूम उमड़ पड़ा जिन्होंने आतिशबाजी की और फ्रांस के झंडे भी लहरा दिए थे। चारों तरफ कार के हॉर्न का शोर सुनाई दे रहा है। शहर भर में दंगा रोकने वाली पुलिस गश्त करती हुई दिखाई दे रही है।
खबरों का कहना है कि पेरिस के बोलवाडर्स से लेकर मोरक्को की राजधानी रबात तक, फ्रांस के नीस से लेकर मोरक्को के मराकेश तक दोनों टीमों के समर्थक बड़ी तादाद में इस मैच को सार्वजनिक स्थलों पर देख रहे है। मैड्रिड में मैच के बाद सोल स्क्वेयर पर जश्न सेलिब्रेट किया है। कुछ प्रशंसक मोरक्को के लाल रंग में रंगे थे तो कुछ फ्रांस के झंडे के तीन रंगों में। मोरक्को पर 1912 से 1956 के मध्य फ्रांस का शासन था जिससे मैच की राजनीतिक और जज्बाती पृष्ठभूमि भी थी।
मोरक्को ने अपेक्षा से कहीं बेहतर प्रदर्शन करते हुए ग्रुप चरण में दूसरी रैंक वाली बेल्जियम टीम को मात दी है और नॉकआउट में स्पेन तथा पुर्तगाल जैसे यूरोपीय दिग्गजों को करारी मात दी है। वह वर्ल्ड कप सेमीफाइनल तक पहुंचने वाली पहली अफ्रीकी टीम बनी । फ्रांस में रह रहे दोहरी नागरिकता वाले कई प्रशंसकों में दुविधा थी कि इस मैच में किसका समर्थन भी कर रहे है। उन्होंने दोनों टीमों की हौसलाअफजाई कर निर्णय कर लिया है। मोरक्को में जन्मे फ्रांस की युवा केसों की जूनियर मंत्री साराह अल हेरी ने कहा,‘‘मुझे मोरक्को की टीम पर गर्व है जिसने असाधारण उपलब्धि हासिल की । इसके साथ ही मैं चाहती हूं कि लेस ब्लूज (फ्रांस) वर्ल्ड कप दोबारा घर लाये।''
'भारत को हरा दो तो पैसे नहीं लेते पाकिस्तानी दुकानदार...', रिज़वान ने सुनाया किस्सा
जीते तो भी दंगे, हारे तो भी दंगे.., जल रहा फ्रांस, लेकिन जलाने वाला कौन ?
अर्जुन तेंदुलकर ने की पिता सचिन के रिकॉर्ड की बराबरी, पहले ही मैच में रच दिया इतिहास