बैंगलोर: कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार ने नए साल की शुरुआत में एक ऐसा फैसला लिया है, जिसने आम जनता को नाराज और परेशान कर दिया है। राज्य की चार परिवहन कंपनियों, BMTC, KSRTC, NWRTC, और KKRTC के बस किराए में 15% की बढ़ोतरी की गई है। कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया, जिसे जनता ने सीधे तौर पर अपने कंधों पर बढ़ाए गए वित्तीय बोझ के रूप में देखा है।
दरअसल, 2023 के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा देने का वादा किया था। इस वादे ने कांग्रेस को सत्ता में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, सरकार बनने के बाद इस योजना को लागू करने का असर राज्य की आर्थिक स्थिति पर साफ दिखाई दे रहा है। महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा की 'शक्ति' योजना ने कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) की वित्तीय हालत को हिला कर रख दिया है। KSRTC को भारी नुकसान झेलना पड़ा है, और रिपोर्ट्स के अनुसार, निगम पर 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज हो गया है। निगम की यह हालत राज्य सरकार के लिए भी सिरदर्द बन गई है। मुफ्त की चुनावी गारंटियों को पूरा करने में सरकार का खजाना खाली हो रहा है, और KSRTC को राहत देने के लिए धन जुटाना मुश्किल हो गया है।
अब सरकार ने बस किराए में 15% की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। इस बढ़ोतरी से महिला यात्रियों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि वे पहले से मुफ्त यात्रा कर रही हैं। लेकिन उनके साथ यात्रा करने वाले पति, भाई, पिता, और बेटों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। इस फैसले से सरकार की नीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि महिलाओं की मुफ्त यात्रा का बोझ बाकी परिवार के पुरुष सदस्यों को उठाना पड़ रहा है। इस फैसले की खबर फैलते ही सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। ट्विटर पर #NotMyFareHike ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग सरकार से किराए में बढ़ोतरी के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग कर रहे हैं। हुबली के एक स्थानीय निवासी ने कहा, "हम मुफ्त सवारी की मांग नहीं कर रहे हैं। लेकिन अगर महिलाओं को मुफ्त यात्रा दी जा रही है, तो उनके परिवार के पुरुषों पर अतिरिक्त बोझ क्यों डाला जा रहा है?"
KSRTC की वित्तीय तंगी के चलते पीन्या बसवेश्वर बस स्टैंड को निजी संस्थाओं को पट्टे पर देने की योजना पर भी विचार किया जा रहा है। यह बस स्टैंड, जो बीजेपी शासन में बेंगलुरु के ट्रैफिक जाम को कम करने के लिए बनाया गया था, अब शादी समारोह, पार्टी जैसे तुच्छ उपयोगों के लिए निजी कंपनियों को सौंपे जाने की कगार पर है। परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने बढ़े हुए किराए को सही ठहराते हुए कहा कि डीजल और रखरखाव की बढ़ती लागत के कारण यह जरूरी था। लेकिन उनकी सफाई जनता के गुस्से को कम करने में नाकाफी रही।
किराया वृद्धि और मुफ्त योजनाओं के कारण बढ़ी आर्थिक तंगी ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार की प्राथमिकताओं और वित्तीय प्रबंधन पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता अब यह जानना चाहती है कि क्या सरकार इस बढ़ते असंतोष को देखकर अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी, या महंगाई का यह बोझ जनता के कंधों पर ही बना रहेगा। क्योंकि, इससे पहले भी आर्थिक तंगी से जूझ रही कर्नाटक सरकार कई चीज़ें महंगी कर चुकी है। कांग्रेस फ्री बिजली का वादा करके सत्ता में आई थी, लेकिन बाद में उसने बिजली की दरें बढ़ा दीं, नंदिनी दूध के दाम बढ़ा दिए, इसके अलावा कर्नाटक सरकार पेट्रोल-डीजल पर VAT भी बढ़ा चुकी है और अब इस बढे हुए किराए ने जनता को एक नई परेशानी में डाल दिया है।