कभी कभी ऐसा होता है जैसे घर में या कही और हमें ऐसा लगता है कि हमारे आसपास कोई है. ऐसा आभास होता है जैसे कोई भूत प्रेत हो, जिसे सामान्य भाषा में कहते हवा का असर या ऊपर का असर है. मगर ये हवा का असर क्या होता है. मरने के बाद मानव शरीर नष्ट होने के बाद पांच-तत्व में विलीन हो जाता है. इन पञ्च तत्व में शामिल एक तत्व वायु है. हमें महसूस वायु के माध्यम से होता है. इसलिए कहा जाता है कि हवा का असर है. क्योकि हम महक सूंघते है, उसका एहसास करते है. जो वायु में घुल कर हम तक पहुँचती है.
वैसे तो भूत-प्रेत से बचने के लिए कई उपाय बचाये जाते है. किन्तु सोचने वाली बात ये है. जिसे कभी देखा नहीं उसके होने का डर मन में क्यों. कुछ यह भी कहते है, जैसे ईश्वर है वैसे शैतान भी है. किन्तु ये बात भी तो सच है कि ईश्वर दुनिया के हर कण हर क्षय में मौजूद है. ईश्वर हमारी मदद करते है. मदद करने वाला ईश्वर और हमारे बीच माध्यम बनता है. तभी तो मदद पाने वाला कहता है कि आप साक्षात ईश्वर या फरिश्ता बनकर आये है.
इंसान के मन में नेकी और बदी दोनों ही मौजूद होते है. यही उसे अपने आने वाले कल की तरफ ले जाते है. यह उस इंसान की स्वेच्छा है कि वह किसे चुने. भूत प्रेत का भी नेकी और बदी से ताल्लुक है, यदि हम मन में ढृंढ निश्चय कर ले कि हम पर बदी हावी न हो तो भूत प्रेत जैसी कोई शक्ति हम पर अपना असर नहीं दिखा सकेगी. शक्ति सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही होती है. आगे बढ़ने वाले सदैव सकारात्मक विचार अपने साथ रखते है. ब्रह्माण्ड में विचार घूमते रहते है. हम जो सोचते है, वह कभी न कभी अपना असर दिखाता ही है, यह कभी न कभी सच होता ही है. इसलिए मन में सिर्फ भूत प्रेत ही नहीं, ये भी सोचे कि कोई लालच दे तो उसकी बातो में न आये. यदि कोई मन में हिंसा और नफरत फैलाने का सोचे तो ऐसा न होने दे क्योकि सिर्फ भूत प्रेत ही नहीं बल्कि लालच, नफरत, दुश्मनी भी बदी है, नकारात्मक तत्व है.
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