नई दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अपनी एक रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि सियासी दलों द्वारा मुफ्त में उपहार दिये जाने की घोषणा से भविष्य में अर्थव्यवस्था के लिये गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह इकॉनमी के घातक साबित हो सकती है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि देश की सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ऐसे खर्चों को राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) या राज्य के टैक्स संग्रह के एक फीसद तक सीमित कर दे।
सियासी दलों द्वारा मुफ्त में दिये जाने वाले उपहारों को लेकर जारी बहस के बीच SBI के मुख्य आर्थिक सलाहकार (समूह) सौम्य कांति घोष द्वारा लिखी गयी इस रिपोर्ट में तीन राज्यों का उदाहरण दिया गया है। इसमें कहा गया है कि गरीब राज्यों की श्रेणी में आने वाले छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान में वार्षिक पेंशन देनदारी तीन लाख करोड़ रुपये अनुमानित है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन राज्यों के कर राजस्व के फीसद के रूप में यदि पेंशन देनदारी को देखा जाए तो यह बहुत ऊंचा है। झारखंड के मामले में यह 217 फीसद, राजस्थान में 190 फीसद और छत्तीसगढ़ में यह देनदारी 207 फीसद है। जो राज्य पुरानी पेंशन व्यवस्था फिर से लागू करने को लेकर विचार कर रहे हैं, उनमें हिमाचल प्रदेश में कर राजस्व के अनुपात में पेंशन देनदारी 450 फीसद, गुजरात के मामले में 138 फीसद और पंजाब में 242 फीसद हो जाएगी।
पुरानी पेंशन व्यवस्था में लाभार्थी कोई योगदान नहीं करते। घोष ने बताया है कि, उपलब्ध ताजा सूचना के अनुसार, राज्यों का बजट से इतर कर्ज 2022 में लगभग 4.5 फीसद पहुंच गया। इसके अंतर्गत वह कर्ज है, जो सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां जुटाती हैं और जिसकी गारंटी राज्य सरकारें देती हैं। विभिन्न राज्यों में इस प्रकार की गारंटी GDP के उल्लेखनीय फीसद पर पहुंच गई है।
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