'कैदियों को मुफ्त कानूनी मदद, पाकिस्तान से बातचीत..', महबूबा मुफ़्ती का घोषणापत्र

'कैदियों को मुफ्त कानूनी मदद, पाकिस्तान से बातचीत..', महबूबा मुफ़्ती का घोषणापत्र
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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव तीन चरणों में होंगे, जिनमें वोटिंग 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होगी, और नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। चुनाव से पहले राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। इसी संदर्भ में, पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने श्रीनगर में अपनी पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया है।

घोषणा पत्र में महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उनकी पार्टी पाकिस्तान के साथ सुलह और बातचीत की वकालत करती है और चाहती है कि बॉर्डर के आर-पार लोगों के बीच संपर्क हो। उन्होंने पीओजेके में स्थित शारदा पीठ तीर्थस्थल तक जाने के लिए रास्ता खोले जाने की भी मांग की, जिससे कश्मीरी पंडित वहां जा सकें। महबूबा मुफ्ती ने अपने घोषणा पत्र में कई वादे किए, जिनमें 200 यूनिट फ्री बिजली देने, पुरानी पेंशन योजना को लागू करने, भर्ती प्रक्रिया को तेज करने, संविदा शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने, और जेल में बंद लोगों को मुफ़्त कानूनी सहायता प्रदान करने का वादा शामिल है। इसके अलावा, मंदिरों, मस्जिदों, और गुरुद्वारों को मुफ्त बिजली देने का भी ऐलान किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी जमात-ए-इस्लामी पर लगे प्रतिबंध को हटाने और उनकी संपत्तियों को वापस दिलाने का प्रयास करेगी। इसके अलावा, उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री से अपील की कि वे एलओसी के आर-पार व्यापार को फिर से शुरू करने की दिशा में काम करें।

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि आर्टिकल-370 जम्मू-कश्मीर और देश के बाकी हिस्सों के बीच एक पुल था, जो अब भाजपा सरकार द्वारा समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अलगाववादी नेताओं को जेल में डालने से समस्या का समाधान नहीं हो सकता, और कश्मीर मुद्दा अब भी जिंदा है, जैसा कि इंजीनियर रशीद की जीत से जाहिर होता है। महबूबा मुफ्ती ने जोर देकर कहा कि उनके लिए सरकार बनाने से ज्यादा कश्मीर समस्या का समाधान महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस उनके घोषणा पत्र का समर्थन करती हैं और इसे लागू करने की इच्छा जताती हैं, तो वह उनके लिए सभी सीटें छोड़ने को तैयार हैं। साथ ही, उन्होंने स्पष्ट किया कि बीजेपी के साथ फिर से गठबंधन करने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि 2014 में बीजेपी के साथ जो गठबंधन हुआ था, वह 'एजेंडा ऑफ अलायंस' पर आधारित था, जिसमें आर्टिकल-370 को न छूने का वादा किया गया था।

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