आप सभी जानते ही हैं कि बीते दिनों लगे लॉकडाउन ने कई लोगों को खाने के एक एक निवाले के लिए तरसा दिया. ऐसे में आंध्र प्रदेश की हालत भी कुछ ठीक नहीं रही. यहाँ कोविड-19 के बढ़ते मरीज़ों को देखते हुए लॉकडाउन को जुलाई महीने तक के लिए आगे किया गया था. इस वजह से मंदिर और उसके आस-पास बैठने वाले भिखारियों को खाने के एक एक निवाले के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा था. वहीं कई बार तो उनके सामने भूखे पेट सोने तक की नौबत आ गई थी. इस बीच उनके लिए मसीहा बने हरीश कुमार श्रीकांत. जी दरअसल यहाँ के श्रीकाकुलम इलाके के भिखारियों के लिए उन्होंने वह काम किया जो सराहनीय है.
हरीश कुमार श्रीकांत ने अपने दोस्तों के एक ग्रुप के साथ सभी की मदद की. अब यह ग्रुप पिछले 10 दिनों से उन्हें खाना खिला रहा है और इसके लिए यह ग्रुप रोज़ाना अपनी जेब से 3,500 रुपये ख़र्च कर रहे हैं. जी हाँ, श्रीकाकुलम ज़िले के पलासा के रहने वाले हरीश कुमार श्रीकांत एक दिन एक भिखारी को 50 रुपये देते थे, लेकिन अब उन्होंने पैसों की जगह उन्हें खाने के लिए दिया. जी दरअसल इस समय वह अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर इलाके के भिखारियों को खाना खिलाने का काम करते हैं.
वह इलाके के क़रीब 70 भिखारियों को रोज़ाना भोजन उपलब्ध करवाते हैं जो एक नेक काम है. इस काम में श्रीकांत, वेणुगोपाल और एन. श्रीनिवास तीन दोस्त शामिल है जो मिलकर इनके भोजन का पूरा ख़र्च उठाते हैं. वाकई में यह बहुत बेहतरीन है. वैसे इस बारे में श्रीकांत का कहना है वह तब तक इस काम को करेंगे जब तक भिखारियों को रोज़ाना भोजन नहीं मिलने लगता है. आपको पता हो श्रीकांत एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं.
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