तेहरान: हाल ही में इजरायली सेना ने लेबनानी आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के सरगना हसन नसरल्लाह को मार गिराया, और इस घटना के बाद दुनिया भर में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। लंदन में इजरायली दूतावास के बाहर बड़ी संख्या में ईरानी नागरिकों ने इकट्ठा होकर नसरल्लाह के अंत पर जश्न मनाया। ये वही ईरानी लोग हैं, जिनका देश सरकार के स्तर पर इजरायल के खिलाफ है, लेकिन जनता का समर्थन आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इजरायल के साथ है। सोशल मीडिया पर भी ईरानियों ने इजरायल का खुले दिल से धन्यवाद दिया और इसे आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी जीत के रूप में देखा। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर #IraniansStandWithIsrael जमकर ट्रेंड करने लगा।
"Another one bites the dust!"????
— Salman Sima (@SalmanSima) September 29, 2024
Khamenei we’re gonna get you too.
We danced and celebrated the world without #HassanNasrallah. Iranians thank Israel for cleaning the world of Terrorists. #IraniansStandWithIsrael pic.twitter.com/pmu3y1X7Ni
एक ईरानी नागरिक ने अपनी पोस्ट में कहा कि, "मैं अपनी खुशी को रोक नहीं पा रहा हूँ यह देखकर कि कैसे इजरायल हिजबुल्लाह का सफाया कर रहा है। ये वही आतंकवादी हैं, जिन्होंने ईरान में हमारी महिलाओं और बच्चों को मार डाला और उन्हें अंधा कर दिया। आज ईरानी लोगों को पता है कि यहूदी लोग उनके सबसे करीबी सहयोगी हैं।" यह बयान इस बात को रेखांकित करता है कि ईरानी जनता न केवल नसरल्लाह को आतंकी मानती है, बल्कि उसके खात्मे को एक जीत के रूप में देख रही है।
An Iranian: “I can't contain my joy seeing how Israel is annihilating Hezbollah. These are the same terrorists who killed and blinded our women and children in Iran. Today the Iranian people know that the Jewish people are their closest allies.”
— Dr. Eli David (@DrEliDavid) September 28, 2024
pic.twitter.com/75ToZrEXHm
ईरानी लोग सोशल मीडिया पर #IraniansStandWithIsrael ट्रेंड करा रहे हैं, जिसमें कई लोगों ने इजरायली सुरक्षा बलों, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और आईडीएफ (इजरायल डिफेंस फोर्स) का खुले तौर पर धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि हिजबुल्लाह और उसके जैसे आतंकी संगठनों का सफाया करना केवल मिडल ईस्ट के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए जरूरी है। यहां तक कि सऊदी अरब, जो वर्षों तक इजरायल का विरोधी रहा है, के भी कुछ हिस्सों से समर्थन की आवाजें उठने लगीं। सऊदी के कुछ यूज़र्स सोशल मीडिया पर इजरायल को लेकर "अम इजरायल चाय", (Am Israel Chai) यानी "इजरायल के लोग जिएं" के नारे भी पोस्ट कर रहे हैं। यह बदलती वैश्विक राजनीति और आतंकी संगठनों के खिलाफ एकजुटता की भावना को दर्शाता है।
La communauté #Iranian????????
— Haim770????????????️???????????? (@Haim77026isback) September 29, 2024
du #Canada????????#IraniansStandWithIsrael #AmIsraelHaï ???????????????????????????????????? pic.twitter.com/QSR1UqCebj
वहीं, दूसरी ओर भारत के कुछ हिस्सों से एक बिल्कुल अलग और चिंताजनक प्रतिक्रिया सामने आई। कश्मीर के कुछ इलाकों में हिजबुल्लाह के आतंकी सरगना नसरल्लाह की मौत पर मातम मनाया गया। यह देखना विचलित करता है कि जहाँ ईरान, सीरिया और सऊदी अरब जैसे इस्लामी देशों के लोग नसरल्लाह को आतंकवादी मानते हैं और उसकी मौत पर जश्न मना रहे हैं, वहीं भारत के कुछ मुस्लिम केवल मजहब के नाम पर उसके प्रति सहानुभूति दिखा रहे हैं।
Hezbollah will be defeated. The Islamic regime in Iran will also be defeated.
— Simin /????پیمان_نوین.#???? (@simin223316966) September 29, 2024
The Iranian people, and all those in the region who seek peace, will emerge victorious. https://t.co/AjgYNLcWYD…#KingRezaPahlavi #Iran#IraniansStandWithIsrael @PahlaviReza @netanyahu https://t.co/amlKUY8y7H pic.twitter.com/qCp5ot7Sbm
यह सोचने वाली बात है कि भारतीय मुस्लिम, जो आम तौर पर आतंकवाद से पीड़ित रहने वाले कश्मीर जैसे इलाकों में रहते हैं, कैसे नसरल्लाह जैसे आतंकियों के समर्थन में आ सकते हैं ? ये वही हिजबुल्लाह है, जिसने न केवल इजरायल बल्कि मिडल ईस्ट के अन्य हिस्सों में भी निर्दोष लोगों की जानें ली हैं। नसरल्लाह की मौत का शोक मनाना इस बात की ओर इशारा करता है कि कुछ वर्ग अभी भी मजहब के नाम पर आतंकियों का समर्थन कर रहे हैं, भले ही वे उनके अपने समाज या देश को कितना भी नुकसान क्यों न पहुंचाते हों।
हिजबुल्लाह, नसरल्लाह की अगुवाई में, लंबे समय से मिडल ईस्ट में आतंकवाद का पर्याय रहा है। हिजबुल्लाह की गतिविधियाँ सीरिया से लेकर ईरान तक फैली हैं, और इसने निर्दोष नागरिकों को शिकार बनाया है। सीरिया और ईरान के कई मुसलमान अब इस आतंकी संगठन के असली चेहरे को पहचान चुके हैं और उसकी क्रूरता से तंग आ चुके हैं। यही वजह है कि इन देशों में नसरल्लाह की मौत का स्वागत किया जा रहा है।
कश्मीर में कुछ नहीं बदला...
— Arvind Chotia (@arvindchotia) September 29, 2024
हिजबुल्लाह के आतंकी नसरल्लाह की मौत पर कश्मीर में ये लो मातम कर "कश्मीरियत" दिखा रहे हैं। यही "कश्मीरियत" 370 हटने से पहले दिखाते थे।pic.twitter.com/eC96lCsvzl
भारतीय मुस्लिम समुदाय को इस मुद्दे पर गहराई से विचार करना चाहिए कि वे किस तरह के व्यक्तित्व और संगठनों का समर्थन कर रहे हैं। नसरल्लाह जैसे आतंकी न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा हैं, बल्कि वह मानवता के भी दुश्मन हैं। मजहब के नाम पर आतंकवाद का समर्थन करना खुद अपने ही समाज के लिए खतरनाक है। आज ईरानी और सीरियाई लोग, जो नसरल्लाह की क्रूरता का शिकार रहे हैं, इजरायल को धन्यवाद कह रहे हैं और जश्न मना रहे हैं। यह उन लोगों के लिए भी एक सीख होनी चाहिए जो आतंकियों को हीरो मानते हैं।
नसरल्लाह की मौत ने मिडल ईस्ट और दुनिया भर में एक नए विमर्श की शुरुआत की है। जहां ईरानी और सीरियाई जनता ने आतंकवाद के खिलाफ इजरायल का समर्थन किया है, वहीं भारत के कुछ हिस्सों में नसरल्लाह जैसे आतंकियों के प्रति सहानुभूति चिंता का विषय है। यह समय है कि भारतीय मुस्लिम समुदाय इस बात पर आत्मचिंतन करे कि मजहब के नाम पर आतंकियों का समर्थन उनके देश और समाज के लिए कितना हानिकारक हो सकता है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी एक देश या मजहब की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की लड़ाई है, और इसमें सभी को एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए।
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