पेट्रोल-डीजल की कीमत तय करने के लिए कथित तौर पर स्वतंत्र सरकारी तेल कंपनियों की विवशता दिखने लगी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक तरफ कच्चा तेल 70 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने के नजदीक है तो दूसरी तरफ घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल के दामों में आज 7वें दिन भी शांति रही। दरअसल, ओपेक प्लस देशों की पिछले बृहस्पतिवार को हुई बैठक में क्रूड ऑयल प्रोडक्शन बढ़ाने के प्रस्ताव पर मुहर नहीं लगी। इसके पश्चात् दो दिन में ही कच्चे तेल के दामों में तकरीबन 5 डॉलर की वृद्धि हुई है।
दूसरी तरफ, शनिवार को दिल्ली के बाजार में पेट्रोल 91.17 रुपये तथा डीजल 81.47 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर रहा। इस वक़्त तकरीबन प्रत्येक जिलें में दोनों ईधनों की कीमत ऑल टाइम हाई पर चल रहे हैं। भारत में कहने को तो सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमत तय करने के लिए स्वतंत्र हैं। मगर, उनके कामकाज में ऐसा नजर नहीं आता है। क्योंंकि, जब जब चुनाव का मौसम आता है, तब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल महंगा होने के बाद भी पेट्रोल और डीजल की कीमत घरेलू बाजार में स्थिर रहते हैं। चुनाव समाप्त होते ही फिर दाम बढ़ने लगते है।
वही पिछले अक्टूबर-नवंबर के चलते जब बिहार में विधानसभा चुनाव हो रहा था, तब निरंतर 48 दिनों तक कीमत में कोई फेरबदल नहीं हुआ था। उसके पश्चात् तकरीबन रोज दाम बढ़े। इस वक़्त पश्चिम बंगाल केरल तथा असम सहित पांच प्रदेशों में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। शायद, यही कारण है कि ब्रेंट क्रूड की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल के पास पहुंचने के पश्चात् भी पेट्रोल-डीजल का बाजार शांत है। वही इस वक़्त भले ही पेट्रोल के दामों में शांति रही हो, किन्तु पिछले फरवरी महीने के चलते पेट्रोल की कीमतों में 16 दिन वृद्धि हुई है।
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